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Arjun Medal Winner: पेरिस में भारत के लिए मेडल जीतकर वापस आई रुबीना फ्रांसिस, खुलकर कही ये बात

Arjun Medal MP Winner: पेरिस पैरालंपिक गेम्स 2024 में भारत का नाम बढ़ाने वाली एमपी के जबलपुर की बेटी रुबीना फ्रांसिस वापस आ चुकी है. अब राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने के बाद उन्होंने कहा कि पिछले 3-4 साल में मैंने बहुत मुश्किलों का सामना किया है. आइए आपको बताते हैं कि वे क्या कहती हैं अपनी उपलब्धियों के बारे में... 

Arjun Medal Winner: पेरिस में भारत के लिए मेडल जीतकर वापस आई रुबीना फ्रांसिस, खुलकर कही ये बात
रुबीना फ्रांसिस ने अपने जीवन के बारे में बताया

Rubina Francis MP: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) की रहने वाली और पेरिस पैरालंपिक गेम्स 2024 (Paris Paralympic Games) की ब्रॉन्ज पदक विजेता रुबीना फ्रांसिस ने हाल ही में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपलब्धियों के लिए अर्जुन पुरस्कार (Arjun Medal Awardee) से सम्मानित होने पर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया. बता दें कि फ्रांसिस हाल ही में गगन नारंग स्पोर्ट्स फाउंडेशन की पहल हाउस ऑफ ग्लोरी पॉडकास्ट में दिखाई दीं. स्टार ने खुद को पैरा शूटिंग में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में स्थापित किया है, खासकर महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 श्रेणी में...

बहुत सम्मानित महसूस कर रही हूं-रुबीना

रुबीना फ्रांसिस ने कहा, 'अर्जुन पुरस्कार प्राप्त करके मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रही हूं और मेरी उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए भारतीय सरकार की बहुत आभारी हूं. यह मेरे और मेरे परिवार के लिए बहुत खास पल है क्योंकि राष्ट्रीय पुरस्कार पाना किसी भी एथलीट का सपना होता है. ऐसा लगता है कि मेरी मेहनत आखिरकार रंग लाई है और यह लगभग अवास्तविक लगता है, पिछले 3-4 सालों में मैंने जितनी चुनौतियों का सामना किया है, उसके बाद यह उपलब्धि और भी खास हो गई है.'

रुबीना फ्रांसिस की पुरानी उपलब्धियां

एमपी की बेटी फ्रांसिस ने 2020 में टोक्यो पैरालंपिक के दौरान अपने पहले ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया, लेकिन सातवें स्थान पर रहीं. अपनी बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे टोक्यो में उनके प्रदर्शन ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया. साथ ही उन्हें खेल छोड़ने के बारे में भी सोचना पड़ा. फ्रांसिस ने खुलासा किया कि उन्होंने घर पर बैठकर खुद का विश्लेषण किया. पूरी जानकारी लिखी कि क्या गलत हुआ और फिर उसे पढ़ा. इसके बाद उन्होंने अपनी कमियों पर काबू पाया और पेरिस में सीखी गई बातों को लागू किया, जिससे उन्हें टूर्नामेंट में सफलता हासिल करने में मदद मिली.

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ज्यादा दिनों तक नहीं होने देती खुद को हतोत्साहित-फ्रांसिस

फ्रांसिस ने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि वे खुद को ज्यादा दिनों तक हतोत्साहित नहीं होने देती है. यह केवल एक या अधिकतम दो महीने तक रहता है. लेकिन उसके बाद, सामान्य हो गई, जो बहुत महत्वपूर्ण है. खेल मनोविज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है. अगर मुझे टोक्यो से पहले इसका एहसास होता, तो मैं पदक जीत लेती या कम से कम अच्छा प्रदर्शन करती.

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