Motivational Story of Rubina Francis : भारतीय निशानेबाज और जबलपुर की बेटी रुबीना फ्रांसिस का सफर किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है. एक साधारण परिवार से आने वाली रुबीना के पिता एक मैकेनिक हैं, जो दिन-रात मेहनत कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं. रुबीना ने जबलपुर की गन फॉर ग्लोरी से अपनी निशानेबाजी की ट्रेनिंग की शुरुआत की. कड़ी मेहनत और संघर्ष के साथ, उन्होंने धीरे-धीरे अपनी प्रतिभा को निखारा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई. रूबीना की इस सफलता ने न केवल जबलपुर, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश और भारत को गर्वित किया है.
रुबीना के माता-पिता काफी चिंता में रहते थे
रुबीना जन्म से ही पैरों से दिव्यांग थीं. इसी वजह से इनके माता-पिता काफी चिंता में रहते थे. इनके पिता साइमन फ्रांसिस ने एक इंटरव्यू में बताया था कि रुबीना के जन्म के बाद से वो डॉक्टरों से इसका इलाज कराते थे. डॉक्टर ने रुबीना के पैरों का इलाज करने के बाद उनके परिवार को कुछ राहत दी और रुबीना को खड़ा होने लायक बना दिया. रुबीना ने अपनी शिक्षा सेंट एलॉयसिस सीनियर सेकेंडरी स्कूल पोलीपाथर जबलपुर से पूरी की है. रुबीना के पिता साइमन फ्रांसिस एक मैकेनिक थे, जबकि रुबीना की मां सुनीता फ्रांसिस जबलपुर में नर्स और भाई एलेक्स फ्रांसिस गुजरात की एक कंपनी में काम करते हैं. आर्थिक तंगी के बीच शूटिंग के प्रति अपनी बेटी रुबीना के बढ़ते जुनून को सहारा देने के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया है. वर्तमान में रुबीना फ्रांसिस मुंबई में आयकर विभाग में अधिकारी के पद कार्यरत है.
रुबीना जन्म से ही टैलिप्स नामक बीमारी से पीड़ित थी
बचपन में रुबीना फ्रांसिस अपने आदर्श, ओलंपिक पदक विजेता निशानेबाज गगन नारंग की बराबरी करने का सपना देखती थीं, लेकिन सबसे बड़े मंच पर पदक जीतना एक दुस्साहसिक लक्ष्य था, क्योंकि उस समय अपने पैरों पर स्थिर खड़े रहना भी एक बड़ी चुनौती थी. रुबीना जन्म से ही टैलिप्स नामक बीमारी से पीड़ित थी - जिसे आमतौर पर क्लब फुट के रूप में जाना जाता है - और इस बीमारी के कारण वह लक्ष्य पर निशाना लगाते समय स्थिर नहीं रह पाती थी. उसकी परेशानी और भी बढ़ गई, वह बैठकर सही निशाना नहीं लगा पाती थी. उसके कोच जेपी नौटियाल ने एक इंटरव्यू में कहा था कि "हमने उसे बैठाकर निशाना लगाने के लिए कहा, लेकिन वह सही निशाना नहीं लगा पाता था."
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'संतुलन बनाने में मदद मिली'
इस समस्या से परेशान होकर ऐसा लगा कि रुबीना को शूटर बनने का अपना सपना छोड़ना पड़ेगा. नौटियाल ने कहा, "हमने उसे खड़ा किया और उसके लिए विशेष जूते खरीदे, जिससे उसे संतुलन बनाने में मदद मिली." स्थिर खड़े रह पाना तो केवल पहला कदम था, रुबीना और उनके प्रशिक्षकों ने उनकी पोजीशन पर भी अथक परिश्रम किया. 2015 में रुबीना एमपी शूटिंग अकादमी में पहुंची, जहां नौटियाल के मार्गदर्शन और प्रसिद्ध कोच जसपाल राणा के छोटे भाई सुभाष के मार्गदर्शन में उसने खूब तरक्की की.
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