MP News in Hindi : मध्य प्रदेश में जगह-जगह ANM यानी कि Auxiliary Nurse Midwife की हड़ताल ने स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है. इसी कड़ी में सोमवार को ग्वालियर में भी कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिला. जहाँ ANM ने दोपहर 1 बजे तक काम करने के बाद छुट्टी ले ली. मंगलवार को सामूहिक अवकाश के चलते जिले में टीकाकरण अभियान सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गईं. बता दें कि ANM का मतलब होता है कि ग्रामीण इलाकों में कुछ महिलाएं सहायक नर्स दाई आदि के पद पर काम करती है और स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं में योगदान करती है... लेकिन अपनी मांगो से नाराज़ इन महिला कार्यकर्ताओं ने आज CMHO दफ्तर के बाहर ज़ोरदार प्रदर्शन किया.
आखिर किस बात को लेकर हैं नाराज़ ?
आज ANM ने CMHO कार्यालय के सामने भगवान के मंदिर में प्रदर्शन किया. उन्होंने अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर नाराजगी जाहिर की. संयुक्त ANM Association की जिलाध्यक्ष विमलेश शर्मा ने बताया कि सरकार ने ऑनलाइन काम के लिए डाटा एंट्री ऑपरेटर और अन्य कर्मियों को सिस्टम दिए हैं. लेकिन आयुष्मान कार्ड बनाने का काम ANM पर थोपा जा रहा है. इसी तरह चुनाव और BLO के काम में भी पुरुष कर्मी जुड़े हैं लेकिन सालों से वे कोई काम नहीं कर रहे. इसके बावजूद सारा दबाव ANM पर डाला जा रहा है.
ANM की मुख्य मांगें क्या है?
जानकारी के मुताबिक, ANM की पहली मांग है कि उनके ऊपर अतिरिक्त काम का दबाव न डालें. आयुष्मान कार्ड बनाने और चुनाव संबंधी काम जैसे बेगार उन्हें न दी जाए. दूसरी बड़ी मांग है कि ANM के साथ सम्मानजनक व्यवहार हो. किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने से रोका जाए. तीसरी बड़ी मांग ये है कि पुराने पड़े बिलों का भुगतान किया जाए. ANM ने अपने रुके हुए बिलों का जल्द भुगतान करने की मांग की है. चौथी बड़ी मांग है कि काम के दौरान CL यानी कि Casual Leave दी जाए. जब कार्यकर्ताओं को ज़रूरत हो तो उन्हें काम के बीच छुट्टी दी जाए.
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स्वास्थ्य सेवाओं पर पद रहा असर
गौरतलब है कि हड़ताल के चलते जिले का टीकाकरण अभियान पूरी तरह रुक गया है. गांवों और शहरों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं. बच्चों को नियमित टीके नहीं लग पा रहे हैं. इधर, ANM ने साफ किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे आंदोलन जारी रखेंगी. इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर और गहरा असर पड़ सकता है. ऐसे में कहना गलत नहीं है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो स्वास्थ्य विभाग को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है.