Amit Shah in Madhya Pradesh Rewa: केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह आज 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर मध्य प्रदेश के दौरे पर रहे. उन्होंने ग्वालियर में ‘अभ्युदय मध्यप्रदेश ग्रोथ समिट' का उद्घाटन किया. इस दौरान दो लाख करोड़ रुपये से अधिक की औद्योगिक परियोजनाओं का भूमिपूजन और लोकार्पण कर जनसमूह को संबोधित किया. इसके बाद अमित शाह शाम को रीवा पहुंचे.
रीवा में 52 एकड़ में फैले बसामन मामा गोधाम में 9 हजार से अधिक गायों के संरक्षण और प्राकृतिक खेती से जुड़े कार्यों का केंद्रीय मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अवलोकन किया. यहां गोबर और गोमूत्र से बनने वाले उत्पादों को देखकर अमित शाह ने सराहना की. उन्होंने कहा कि नया साल 2026 कृषि वर्ष के रूप में मनाया जाएगा और किसानों को केमिकल छोड़कर प्राकृतिक खेती अपनानी चाहिए. अमित शाह ने हर व्यक्ति से पांच पीपल के पेड़ लगाने की भी अपील की और कहा कि पीपल ऑक्सीजन देने वाला वृक्ष है, जिसे कोई काटता नहीं.

Amit Shah in Madhya Pradesh Rewa
बसामन मामा गोधाम बनेगा मॉडल
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला, प्रभारी मंत्री प्रहलाद पटेल सहित कई मंत्री और विधायक बसामन मामा गोधाम पहुंचे. यहां प्राकृतिक खेती और गौ-संरक्षण के अनूठे मॉडल का अवलोकन किया गया.
अमित शाह ने कहा कि आज अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है और अटल जी को रीवा बेहद प्रिय था. वे अपने वाहन चालक से बघेली में बातचीत करते थे और उन्हें यह बोली बहुत पसंद थी. अटल जी जो सोचते थे, वही करके दिखाते थे. ऐसा व्यक्तित्व विरले ही देखने को मिलता है.
उन्होंने बताया कि जब उन्हें बसामन मामा गौशाला के बारे में जानकारी मिली थी, तभी उन्होंने तय कर लिया था कि मध्य प्रदेश आने पर यहां जरूर आएंगे. रीवा में एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट है और बसामन मामा गोधाम प्राकृतिक खेती से जुड़े जरूरी संसाधनों के लिए श्रेष्ठ स्थान बन सकता है. यहां गोबर और गोमूत्र से खाद बनाकर खेती की जा रही है. यदि इसे प्रोजेक्ट के रूप में आगे बढ़ाया जाए तो विंध्य क्षेत्र के किसानों की आय डेढ़ गुना तक बढ़ सकती है.

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भारत में 40 लाख किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े
अमित शाह ने कहा कि एक देशी गाय के गोबर और गोमूत्र से 21 एकड़ तक भूमि पर रासायनिक खाद के बिना खेती संभव है. आज केमिकल युक्त अन्न के कारण बीपी और शुगर जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं. प्राकृतिक खेती न केवल जमीन बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है. उन्होंने बताया कि देश में 40 लाख से अधिक किसान प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं और उन्होंने खुद भी अपने खेत में इसका प्रयोग किया है.
बसामन मामा गौ-अभ्यारण्य 52 एकड़ में फैला हुआ है, जहां 9 हजार से अधिक बेसहारा और बीमार गायों की सेवा 100 से अधिक कर्मचारी कर रहे हैं. यह गौशाला न केवल पशु संरक्षण का केंद्र है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन भी बन चुकी है.
5 हजार किसान जुड़े
रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने बताया कि गौशाला से निकलने वाले गोबर और गोमूत्र से जैविक खाद, गो-काष्ठ और गोनाइल जैसे उत्पाद बनाए जा रहे हैं. यह कार्य आर्ट ऑफ लिविंग और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से संचालित है. बसामन मामा गौशाला की वजह से आसपास के 50 गांवों के करीब 5 हजार किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक एकड़-एक मौसम' मंत्र को अपनाते हुए किसान अब केमिकल मुक्त खेती कर रहे हैं, जिससे पौष्टिक अनाज मिल रहा है और जमीन की सेहत भी सुधर रही है.
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