
Jabalpur Sting Operation: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की नई शराब नीति (MP Liquor Policy) के अनुसार इस साल 15% लाइसेंस फीस (License Fees) बढ़ा कर रिन्युवल किया जाएगा. यह चेंज 1 अप्रैल से लागू होगा, लेकिन जबलपुर के शराब ठेकेदार इस बढ़ी हुई राशि की वसूली आम जनता से कर रहे हैं. गुपचुप ढंग से शराब के दामों में 15 से 20% का इजाफा कर दिया गया है.
शराब सिंडिकेट (Liquor Syndicate) के इस हरकत पर आबकारी विभाग के अधिकारी आंख मूंदे बैठे रहे, लेकिन जब एक मदिरा प्रेमी ने स्टिंग कर वीडियो (Sting Operation Video) जारी किया तो इसके बाद हल्ला मच गया. कलेक्टर दीपक सक्सेना ने निर्धारित दाम से ज्यादा में शराब बेचने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. साथ ही 3 दुकानों पर कार्रवाई भी की है.
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50% दामों की बढ़ोतरी को लिया वापस
मामला सामने आने और पुलिस के एक्शन में आने के बाद सिंडिकेट ने शराब के दामों में जो बढ़ोत्तरी की थी, उसमें से आधी बढ़ोतरी वापस ले ली. यानी जिस शराब पर 20 रुपए का इजाफा किया गया था, उसमें से 10 रुपए की बढ़ोत्तरी वापस ले ली गई है. लेकिन अभी भी शराब प्रेमियों को महंगी शराब बेची जा रही है.
खानापूर्ति वाली कार्रवाई
जिस आदमी ने स्टिंग किया है उस वीडियो में दिख रहा है कि शराब दुकानों पर क्वार्टर की बोतल में 10 रुपए, हाफ में 20 और फुल बोतल पर 30 रुपए ज्यादा दाम वसूले जा रहे हैं. शासन द्वारा बढ़ाई गई लायसेंस रिन्यूअल की राशि जनता से जो 1 अप्रैल से वसूली जानी थी उसकी अभी से वसूली चालू है. कलेक्टर के निर्देश के बाद आबकारी आयुक्त ने शहर के शराब दुकानों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों की 3 दुकानों पर निर्धारित दाम से ज्यादा पर शराब बेचने के चलते लायसेंस रद्द करने की कार्रवाई की है.
'निर्धारित दाम पर ही बिक रही शराब'
आबकारी आयुक्त रवींद्र मानिकपुरी ने बताया कि खितौला, बघराजी और उड़ना की शराब दुकानों पर कार्रवाई करते हुए प्रतिवेदन दिया गया है. शहर में निर्धारित दाम पर ही शराब बिक रही है. शराब ठेकेदारों ने बढ़ोत्तरी को वापस ले लिया है. आगे हम ऐसे किसी भी मामले पर निगरानी रखेंगे. कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश के बाद आबकारी विभाग को प्रतिदिन शहरी क्षेत्र में सख्ती रखते हुए निगरानी करनी चाहिए ताकि लोगों से अवैध वसूली ना की जाए.
हर बिक्री पर बिल है जरूरी
वैसे तो कलेक्टर ने निर्देशित किया है कि हर शराब बिक्री का बिल अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए, लेकिन जब सख्ती होती है तभी दो-चार दिन बिल काटे जाते हैं. उसके बाद फिर बिना बिल के बिक्री शुरू हो जाती है. यदि सभी को बिल दिए जाएं तो यह अवैध वसूली रोकी जा सकती है.
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(Note: NDTV इन स्टिंग की पुष्टि नहीं करता)