Madhya Pradesh : बीते साल भारत में करीब 65 लाख से ज्यादा छात्र 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में फेल हो गए. सबसे ज़्यादा फेल होने वाले छात्र उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से हैं. इसी से जुड़ी एक रिपोर्ट मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले से सामने आई है. जिले के शिक्षा विभाग ने हाल ही में जिले के 18 हाई स्कूलों को हाईलाइट किया है.. जिनके 10वीं और 12वीं क्लास का रिजल्ट 40 प्रतिशत से कम रहा है. इसी को लेकर NDTV की टीम ने सोहागपुर विकासखंड माछा के सरकारी नवीन हाई स्कूल रियलिटी टेस्ट किया, जहां की स्थिति ने शिक्षा स्तर पर गंभीर सवाल खड़े किए.
स्कूल में मिली शराब की बोतलें
जब NDTV की टीम माछा के स्कूल पहुंची, तो सबसे पहले स्कूल की बिल्डिंग में कोई गेट नहीं मिला. इस कारण से जानवरों ने स्कूल परिसर में गंदगी फैला रखी थी. स्कूल के अंदर प्रवेश करते ही टीम को कुछ शिक्षक मिले, जो गेस्ट फैकल्टी के तौर पर रखे गए थे. हालांकि स्कूल के प्रभारी प्रिंसिपल धनीराम नामदेव खुद गैर-हाज़िर थे.
बच्चों की पढ़ाई पर खराब असर
इस स्कूल में प्राथमिक कक्षाओं में 76 और मिडिल हाई में 99 विद्यार्थी पढ़ते हैं, जबकि 10वीं कक्षा में 23 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. जब टीम ने 10वीं कक्षा का जायज़ा किया तो वहां कोई शिक्षक मौजूद नहीं थे और केवल 12 विद्यार्थी मौजूद थे. विद्यार्थियों ने बातचीत में बताया कि स्कूल में शिक्षकों की कमी के चलते उनकी पढ़ाई पर खराब असर पड़ रहा है.
छात्रों को पढ़ाने के लिए टीचर नहीं
स्कूल में मौजूद गेस्ट फैकल्टी के शिक्षकों, जितेंद्र सिंह ठाकुर और शैलेश कुमार दायमा ने बताया कि स्कूल की स्टाफ संख्या के अनुपात में शिक्षकों की कमी है. स्कूल में मात्र दो स्थायी शिक्षक हैं, जबकि दो गेस्ट फैकल्टी हाई स्कूल में और तीन प्राथमिक स्कूल में कार्यरत हैं. यही कारण है कि स्कूल का परिणाम बेहद कमजोर रहा है. इस साल 10वीं कक्षा का परिणाम मात्र 26% रहा, जो कि काफी निराशाजनक है.
स्कूल की हालत उठाती गंभीर सवाल
शिक्षकों की कमी है और स्कूल में गंदगी और सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं. NDTV की टीम ने जब स्कूल परिसर का जायजा लिया तो वहां जगह-जगह गंदगी और शराब की बोतलें पड़ी मिलीं. शाम होते ही यह स्कूल एक मयखाने में तब्दील हो जाता है. स्कूल में खेल के मैदान और अन्य बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है. इस रिपोर्ट से तो साफ है कि इस स्कूल के खराब नतीजे का सबसे बड़ा कारण शिक्षकों की कमी और स्कूल में अव्यवस्थाएं हैं.
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