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वाह ! 8वीं पास किसान 12 साल में 8 बीघा से 50 बीघा जमीन का बना मालिक, इस तरकीब से टर्नओवर भी पहुंचा एक करोड़

Experiments in Farming: आगर मालवा जिले के किसान हैं राधेश्याम परिहार. पढ़ाई तो उन्होंने महज 8वीं क्लास तक की है लेकिन अपनी मेहनत और कुछ अलग करने के जुनून की वजह से वे खास किसान बन गए हैं. इतने खास की महज 12 साल में उन्होंने 8 बीघा से 50 बीघा जमीन के मालिक बनने का सफर तय कर लिया. जैविक खेती की बदौलत उनके कारोबार का सालाना टर्नओवर 1 करोड़ को पार कर गया है...जानिए क्या है राधेश्याम की कहानी?

वाह ! 8वीं पास किसान 12 साल में 8 बीघा से 50 बीघा जमीन का बना मालिक, इस तरकीब से टर्नओवर भी पहुंचा एक करोड़

MP Farmer News: मध्यप्रदेश के पिछड़े जिलों में गिने जाने वाले आगर-मालवा से एक ऐसे किसान की कहानी सामने आई है जो तुलनात्मक तौर पर विकसित जिलों के किसानों के लिए मिसाल बन गई है. दरअसल यहां एक आठवीं पास किसान रहते हैं..उनका नाम है राधेश्याम परिहार. आज से 12 साल पहले उनके पास महज 8 बीघा जमीन थी. परिवार का गुजारा मुश्किल हो रहा था..तभी उन्होंने जैविक खेती करने की ठानी और आज उनके पास खुद की 50 बीघा जमीन है. इसके अलावा उनके द्वारा उत्पादित जैविक उत्पादों का सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये के पार भी पहुंच गया है. राधेश्याम ने जैविक उत्पादों को बेचने के लिए खुद की कंपनी भी खोल ली है.NDTV ने ग्राउंड पर जाकर उनकी जो कहानी जानी-समझी है उसी पर रिपोर्ट पेश है. 

राधेश्याम ने पारंपरिक खेती छोड़ कर जैविक खेती शुरू की. कई तरह से प्रयोग किए.

राधेश्याम ने पारंपरिक खेती छोड़ कर जैविक खेती शुरू की. कई तरह से प्रयोग किए.

बेसिक फोन से ही सीखी तकनीक 

आगर मालवा  जिला मुख्यालय से करीब बीस किलोमीटर की दूरी पर मुख्य सड़क से अंदर वीरनायगा गांव मौजूद है. यहां पहुंचने पर हमें राधेश्याम कड़ी धूप में खेत में पसीना बहाते नजर आए. पूछने पर उन्होंने बताया कि वे बेहद साधारण परिवार में जन्मे हैं. उनके पास कुल 8 बीघा जमीन थी और वे पारंपरिक खेती करते थे. जिससे परिवार का पूरा खर्चा निकालना मुश्किल हो रहा था. तभी उन्होंने कुछ अलग करने को सोचा. इसके बाद उन्होंने की-पैड फोन से ही खेती की नई तकनीक सीखने का फैसला किया. इसी मोबाइल से उन्होंने कृषि अधिकारियों से बातचीत शुरू की. जहां उन्हें जैविक खेती की जानकारी मिली.राधेश्याम ने NDTV को बताया कि कृषि विशेषज्ञों ने उन्हें समझाया कि कैसे जहरीले कीटनाशकों से की जाने वाली खेती नुकसानदायक है. इसके बाद उन्होंने जैविक खेती की ओर आगे बढ़ने का फैसला लिया. 

12 सालों में राधेश्याम ने सिर्फ खुद की तस्वीर बदली बल्कि दूसरे किसानों को भी प्रेरित किया. जिसकी वजह से उन्हें कई सम्मान भी मिले

12 सालों में राधेश्याम ने सिर्फ खुद की तस्वीर बदली बल्कि दूसरे किसानों को भी प्रेरित किया. जिसकी वजह से उन्हें कई सम्मान भी मिले

परेशानी आई पर पीछे नहीं पलटे राघेश्याम

राधेश्याम बताते हैं कि शुरूआत में कुछ दिक्कतें आई मगर मैंने पीछे पलट कर नहीं देखा. मेहनत का नतीजा सामने आया और जिस खेत में पहले बहुत कम उत्पादन होता था वही जमीन जैसे सोना उगलने लगी. राधेश्याम इसी दौरान पारंपरिक फसलें मसलन गेहूं,चना,सोयाबीन आदि की खेती छोड़कर औषधीय गुणों वाले फसलों की खेती शुरू कर दी. अब उनके खेतों में अश्वगन्धा,गिलोय,चिया सीड, लाल  मिर्च, हल्दी, धनिया, राई, सरसों, सौंफ,लहसुन और प्याज आदि की खेती होती है. मुनाफा होने लगा तो उन्होंने और जमीनें भी खरीद लीं. इसके बाद राधेश्याम खेती और बड़े पैमाने करने लगे. राधेश्याम का लक्ष्य इस बार दो सौ क्विंटल हल्दी उत्पादन लेने का है. इस साल वे पचास क्विंटल से ज्यादा लाल मिर्च का उत्पादन कर चुके हैं. फिलहाल वे एक ही खेत में एक साथ दो या तीन जैविक उत्पाद लेने की तकनीक पर काम कर रहे है. इसी वजह से उनके यहां लहसुन के खेत में ईसबगोल की फसल भी लहलहाती आपको नजर आ जाएगी.

राधेश्याम खुद जैविक खाद भी तैयार करते हैं. इसके अलावा कई तरह के जैविक उत्पाद भी बनाते हैं.

राधेश्याम खुद जैविक खाद भी तैयार करते हैं. इसके अलावा कई तरह के जैविक उत्पाद भी बनाते हैं.
Photo Credit: सभी फोटो- जफर मुल्तानी

अब खुद का है प्लांट, करते हैं ऑनलाइन डिलीवरी

कारोबार बढ़ा तो राधेश्याम अपने उत्पादों के लिए मार्केट तलाशने के लिए बड़े शहरों का रुख करने लगे. छोटे से गांव से निकलकर अब वे इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में अपने ग्राहक और बाजार बना रहे हैं. महज 8 वीं पास इस किसान ने डिजिटल उपायों का महत्व समझा और अब वे अपने ग्राहकों के लिए ऑनलाइन डिलीवरी के साथ ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा दे रहे हैं. उन्होंने गांव में ही अपने खेत पर ग्रेडिंग और पैकेजिंग प्लांट भी बना लिए हैं. यहीं से उनके जैविक उत्पादों का सालाना कारोबार 1 करोड़ रुपये के आसपास का हो गया है. इसी दौरान राधेश्याम को सरकार और दूसरे संस्थाओं की ओर से कई पुरुस्कार और प्रमाण पत्र भी मिले हैं.  

अब छोटे किसानों से भी खरीदते हैं उनके उत्पाद

कुल मिलाकर अब राधेश्याम दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं. मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियों के उपचार में काम आने वाली औषधियां जैसे चिया सीड और किनोवा जैसे उत्पाद उनकी देखा-देखी दूसरे किसान भी उगाने लगे हैं. इन किसानों का उत्पाद अब राधेश्याम खुद ही खरीद लेते हैं और आसपास की मंडियों में जाकर बेच देते हैं. जिला कृषि विभाग के उपसंचालक विजय चौरसिया ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि राधेश्याम इलाके में एक तरह से मॉडल के रूप में है.जिन्होंने जैविक खेती के महत्व को समझा और उसका बखूबी इस्तेमाल किया. राधेश्याम ने सरकार की सारी योजनाओं का न सिर्फ खुद ही लाभ उठाया बल्कि दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित किया.

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