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This Article is From Sep 12, 2023

ओंकारेश्वर में बनी आदि शंकराचार्य की 108 फुट ऊंची प्रतिमा, 18 सितंबर को CM शिवराज करेंगे अनावरण

कई धातुओं से बनी यह प्रतिमा 108 फुट ऊंची है जिसमें आदि शंकराचार्य को 12 वर्ष के बालक के स्वरूप में दिखाया गया है. जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसका अनावरण करेंगे.

ओंकारेश्वर में बनी आदि शंकराचार्य की 108 फुट ऊंची प्रतिमा, 18 सितंबर को CM शिवराज करेंगे अनावरण

खंडवा : मध्यप्रदेश सरकार भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की 108 फुट ऊंची मूर्ति का 'एकात्मता की प्रतिमा' के रूप में 18 सितंबर को अनावरण करेगी. जनसंपर्क विभाग की ओर से मंगलवार को जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है. विज्ञप्ति में कहा गया कि इंदौर से करीब 80 किलोमीटर दूर ओंकारेश्वर को आदि शंकराचार्य के प्रवर्तित अद्वैत वेदांत दर्शन के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करने की परियोजना पर काम जारी है. 

परियोजना के पहले चरण में नर्मदा नदी के तट पर बसी इस धार्मिक नगरी के मांधाता पर्वत पर 'एकात्मता की प्रतिमा' का अनावरण किया जाएगा. कई धातुओं से बनी यह प्रतिमा 108 फुट ऊंची है जिसमें आदि शंकराचार्य को 12 वर्ष के बालक के स्वरूप में दिखाया गया है. विभाग के मुताबिक, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसका अनावरण करेंगे. मूर्ति का अनावरण राज्य में विधानसभा चुनावों से करीब दो महीने पहले किया जा रहा है.

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देशभर से आएंगे साधु संत
जानकारी देते हुए खंडवा कलेक्टर अनूप कुमार सिंह ने बताया था कि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का काम हमारे मांधाता पर्वत पर चल रहा है. प्रतिमा लगभग पूरी हो चुकी है और 18 तारीख के आसपास प्रतिमा का अनावरण होगा. इसमें देश भर से साधु संत आएंगे और इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान भी होंगे. इस कार्यक्रम से पहले शहर में सीसी रोड का निर्माण, साफ सफाई, पेवर ब्लॉक लगाने का काम बड़े स्तर पर किया जाएगा. कलेक्टर ने खंडवा के आम नागरिकों से अपील भी की कि यह हमारे शहर का प्रोजेक्ट है. इससे हमारे शहर को बड़ी पहचान भी मिलने वाली हैं. इसलिए हम लोग भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए शहर और आसपास में प्रशासन का सहयोग करें.

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चार साल तक ओंकारेश्वर में रहे शंकराचार्य
माना जाता है कि केरल में जन्मे शंकराचार्य बाल्यावस्था में संन्यास लेने के बाद ओंकारेश्वर पहुंचे थे जहां उन्हें उनके गुरु गोविंद भगवत्पाद मिले थे और उन्होंने इस धार्मिक नगरी में चार वर्ष रहकर विद्या प्राप्त की थी. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत दर्शन को लोगों तक पहुंचाने के लिए ओंकारेश्वर से 12 वर्ष की आयु में देश के अन्य हिस्सों के लिए प्रस्थान किया था. सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया कि ओंकारेश्वर में 'अद्वैत लोक' नाम के संग्रहालय और आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान की स्थापना के साथ ही 36 हेक्टेयर पर 'अद्वैत वन' भी विकसित किया जा रहा है.

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