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उज्जैन में सिंहस्थ मेले से पहले क्षिप्रा को शुद्ध करने के लिए 600 करोड़ की परियोजना हुई तैयार 

उज्जैन में साल 2028 में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले से क्षिप्रा नदी को प्रदूषणमुक्त करने के लिए इंदौर के जिला प्रशासन ने 600 करोड़ की लागत वाली परियोजना का खाका तैयार किया है. इसमें 11 नये सीवेज उपचार संयंत्र (STP) लगाया जाना और 450 किलोमीटर लंबी सीवेज लाइन बिछाया जाने के काम शामिल हैं. प्रशासन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

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उज्जैन में सिंहस्थ मेले से पहले क्षिप्रा को शुद्ध करने के लिए 600 करोड़ की परियोजना हुई तैयार 
उज्जैन में सिंहस्थ मेले से पहले क्षिप्रा नदी को शुद्ध करने के लिए 600 करोड़ की परियोजना हुई तैयार 
इंदौर:

उज्जैन में साल 2028 में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले से क्षिप्रा नदी को प्रदूषणमुक्त करने के लिए इंदौर के जिला प्रशासन ने 600 करोड़ की लागत वाली परियोजना का खाका तैयार किया है. इसमें 11 नये सीवेज उपचार संयंत्र (STP) लगाया जाना और 450 किलोमीटर लंबी सीवेज लाइन बिछाया जाने के काम शामिल हैं. प्रशासन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.जिलाधिकारी आशीष सिंह ने क्षिप्रा शुद्धिकरण अभियान के तहत अलग-अलग विभागों के अफसरों के साथ बैठक की. इसके बाद उन्होंने संवाददाताओं को बताया,‘‘हमने इंदौर की कान्ह और सरस्वती नदियों के साथ ही उज्जैन की क्षिप्रा नदी को अगले ढाई साल के भीतर शुद्ध करने का लक्ष्य तय किया है. इस परियोजना में करीब 600 करोड़ की लागत आएगी जिसे हम विशेषज्ञों की मदद से अमली जामा पहनाएंगे.''

इंदौर के जिला प्रशासन की 600 करोड़ का परियोजना 

उन्होंने बताया कि परियोजना के पहले चरण के तहत 11 नये एसटीपी लगाए जाएंगे और 450 किलोमीटर लम्बी सीवेज लाइन डाली जाएगी. सिंह ने कहा, ‘‘हम राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जरिये निगरानी रखकर यह भी सुनिश्चित करेंगे कि औद्योगिक इकाइयां कान्ह, सरस्वती और क्षिप्रा नदियों में अपशिष्ट न बहाएं.'' अधिकारियों ने बताया कि क्षिप्रा और कान्ह नदियों में बिना उपचार के औद्योगिक अपशिष्ट बहाने पर इंदौर के जिला प्रशासन ने जनवरी में सख्त कदम उठाते हुए नौ कारखानों को सील कर दिया था. इंदौर जिले के ग्रामीण क्षेत्र से निकलने वाली क्षिप्रा उज्जैन पहुंचती है जहां हर 12 साल में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु इस नदी में स्नान करते हैं. क्षिप्रा को हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं में 'मोक्षदायिनी' कहा जाता है.

साल 2028 तक क्षिप्रा नदी को प्रदूषणमुक्त बनाने की तैयारी

अधिकारियों ने बताया कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में गंदे नाले में तब्दील कान्ह और सरस्वती नदियों का पानी भी आगे जाकर क्षिप्रा में मिलता है और इसमें होने वाले प्रदूषण में इजाफा करता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि भारी प्रदूषण के कारण क्षिप्रा नदी का पानी उज्जैन में आचमन के लायक नहीं है. उज्जैन राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का गृह क्षेत्र है.वह इस धार्मिक नगरी में चार साल बाद लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले क्षिप्रा नदी को शुद्ध करने के अभियान में विशेष रुचि ले रहे हैं और इस सिलसिले में अफसरों को लगातार ताकीद भी करते रहते हैं.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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