Forest Department Leopard Rescue Operation: मध्य प्रदेश के देवास में 48 घंटे बाद भी वन विभाग का रेस्क्यू ऑपरेशन (Forest Department Rescue Operation) सफल नहीं हो सका, पाइप लाइन (Pipeline) में फंसी मादा तेंदुआ अंदर मछलियां खाकर पेट भर रही है. इसलिए वह बाहर नहीं आ रही है. नर्मदा-पार्वती लिंक परियोजना (NARMADA-PARVATI LINK PROJECT) की पाइप लाइन में तीन शावकों के साथ घुसी मादा तेंदुआ कई घंटों की मशक्कत के बाद भी बाहर नहीं आ रही है. मादा तेंदुआ व उसके शावकों को पाइप से निकालने के लिए वन विभाग (Forest Department Team) की टीम ने पाइप के मुहाने पर पिंजरा रखकर उसमें बकरी का बच्चा बांधा है. इसके बावजूद भी मादा तेंदुआ व उसके शावक बाहर नहीं आए हैं.
कहां का है मामला?
ग्राम बुरुट व किलोदा के बीच नर्मदा-पार्वती लिंक परियोजना की पाइप लाइन डालने का काम चल रहा है. उपसरपंच जितेंद्र पटेल के खेत से निकलने वाली पाइप लाइन के बाहर कुछ दिन पहले मजदूरों ने मादा तेंदुए को तीन शावकों के साथ देखा था. इसके बाद वन विभाग को सूचना दी गई थी. रेंजर सृजन जाधव वन अमले के साथ मौके पर पहुंचे. इस दौरान मादा तेंदुआ शावकों के साथ पाइप के अंदर चली गई. तब से अब तक वह बाहर नहीं आई है.
क्यों बाहर नहीं आ रही है?
इसके पीछे कई कारण हैं एक बात यह भी है कि जब तक शावक शिकार करने नहीं लग जाते तब तक मादा तेंदुआ उन्हें अपने से दूर नहीं करती. अभी शावकों का फीडिंग का भी समय चल रहा है. साथ ही जिस पाइप लाइन में वह रुकी है, वहां पानी भरा हुआ है. ग्रामीण बता रहे हैं कि उसमें मछलियां भी हैं, तेंदुए को जब भूख लगती है तो वह मछलियां भी मारकर खा लेती है. इसी के चलते वह बाहर नहीं आ रही है. उसने काफी सोच समझ कर उक्त स्थान को अपना प्राकृतिक स्थान बना लिया है. ट्रैप कैमरे लगे हैं, टीम लगातार निगरानी कर रही है.
वन विभाग के अधिकारी का क्या कहना है?
देवास के डीएफओ पीके मिश्रा का कहना है कि उज्जैन की रेस्क्यू टीम पहुंच गई है. साथ ही ऑटोमेटिक पिंजरा भी बुलाया गया है. जिसे पाइपलाइन के मुहाने पर लगाया जाएगा, यदि फिर भी मादा तेंदुआ अपने शावकों के साथ पिंजरे में नहीं आती है तो उसे टेक्सुलाइज कर रेस्क्यू किया जाएगा.
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