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This Article is From Oct 21, 2023

Forest Department में 15 साल से जमे हैं वनकर्मी, वन क्षेत्रपाल से असिस्टेंट डायरेक्टर तक की जिम्मेदारी 

डीएफओ कार्यालय (DFO Office) में ही ऐसे कई वनकर्मी हैं, जो दशकों से यहां जमे हुए हैं. ऐसा माना जाता है कि राजनीतिक पकड़ और ऊपर तक पहुंच होने के कारण इन वन कर्मियों को स्थानांतरण नहीं हो सका है.

Forest Department में 15 साल से जमे हैं वनकर्मी, वन क्षेत्रपाल से असिस्टेंट डायरेक्टर तक की जिम्मेदारी 
कोरिया:

ब्hhattisgarh News : कोरिया जिला मुख्यालय के वन विभाग ऑफिस (Forest Department Office) में कुछ ऐसे अधिकारी कर्मचारी हैं, जो सालों से अंगद के पांव की तरह जमाए हुए हैं. हैरानी की बात तो यह है कि मुख्यालय में एक वनपाल थोड़े ही समय में लगातार प्रमोशन लेते हुए आज एसडीओ व गुरूघासीदास नेशनल पार्क में असिस्टेंट डायरेक्टर की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी इनका तबादला जिले से बाहर नहीं हुआ है. पिछले करीब 15 साल से यह वनकर्मी जिले में ही डटे हुए हैं. कोरिया वन मंडल में ये इकलौता उदाहरण नहीं हैं, ऐसे कई मामले हैं.

वन प्रशिक्षण केंद्र

वन प्रशिक्षण केंद्र, कोरिया वन मंडल बैकुण्ठपुर

क्या राजनीतिक पकड़ का फायदा उठा रहे हैं?

डीएफओ कार्यालय (DFO Office) में ही ऐसे कई वनकर्मी हैं, जो दशकों से यहां जमे हुए हैं. ऐसा माना जाता है कि राजनीतिक पकड़ और ऊपर तक पहुंच होने के कारण इन वन कर्मियों को स्थानांतरण नहीं हो सका है जिससे जंगल की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं दूसरी ओर ये कर्मी दफ्तरों में भी अपनी मनमर्जी चलाते नजर आते हैं.

विभाग और स्थानीय राजनेताओं में पुरानी पकड़ होने के कारण इन वनकर्मियों के आगे नियम और कानून भी ढीले पड़ जाते हैं. कोई अधिकारी यदि सख्ती दिखाता है तो सालों से जमे वन कर्मी उस अधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोल देते हैं.

सख्ती का विरोध भी कर चुके हैं

दो साल कोरिया वन मंडल में डीएफओ मनीष कश्यप ने जब सख्ती दिखाई थी तो डीएफओ दफ्तर के वन कर्मियों ने डीएफओ के खिलाफ सामूहिक विरोध प्रदर्शन किया था. कोरिया वन मंडल में ऐसे वन कर्मी व अधिकारियों पर चुनाव आयोग ने भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. गौर करने वाली बात ये है कि कोरिया, मनेंद्रगढ़ में ऐसे वन कर्मी व अधिकारी वन्यजीव तस्कर और लकड़ी माफियाओं पर लगाम लगाने में भी नाकाम साबित हो रहे हैं. हालही में रायपुर की टीम ने दो बार कोरिया और मनेंद्रगढ़ में तस्करी मामले में कार्रवाई करते हुए ये साबित किया है कि स्थानीय अधिकारी वन और वन्य जीवों की सुरक्षा के प्रति सजग नहीं है.

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