Bhopal Crime News: मध्य प्रदेश की राजधानी से रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है...यहां दुर्गापूजा विसर्जन के दौरान बज रहे डीजे की तेज (DJ noise in Bhopal) आवाज की वजह से एक 13 साल के बच्चे समर बिल्लोरे की मौत हो गई. समर साईबाबा नगर (Saibaba Nagar)में रहता था. त्यौहार के दौरान उसके घर के बाहर डीजे बज रहा था लोगों को नाचते देख मासूम समर भी थिरकने लगा लेकिन इसी शोर में उसके दिल की धड़कन शांत हो गई. हद ये है कि मौके पर पुलिस के साथ-साथ प्रशासन और परिवार के लोग भी मौजूद थे लेकिन इस शोर के आगे सभी बेबस नजर आए. सवाल ये है कि जब डीजे को लेकर नियम तय हैं तो फिर उसका पालन क्यों नहीं होता? ये हालत तब है जबकि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद मोहन यादव ने जिस पहली फाइल पर दस्तखत किए थे वो है डीजे से होने वाले शोर से संबंधित ही थी. इस रिपोर्ट में हम जानेंगे सरकार ने जब डीजे को काबू में रखने का फरमान जारी कर रखा है तो ये शोर बेकाबू क्यों है?
समर के पिता कैलाश बिल्लोरे का कहना है कि उनके लड़के को कोई तकलीफ नहीं थी लेकिन डीजे की आवाज खतरनाक तरीके से तेज थी. बहुत सारे डिब्बे लगे थे. बच्चे की तबीयत खराब होने पर भी उन लोगों ने डीजे को बंद नहीं किया. बच्चे की मौत के बाद भी वे डीजे बजाते हुए चले गए. अब समर के माता-पिता के आंखों में आंसुओं का सैलाब है जो ये पूछ रही हैं कि कब थमेगा डीजे का शोर.
NDTV की टीम लोगों की ये समस्या शिद्दत से समझी है. इसी वजह से हमारी टीम ने बीते 12 दिनों से राजधानी भोपाल के अलग-अलग इलाकों में पड़ताल की. हमने गौतम नगर, जम्बूरी मैदान , जहांगीराबाद , और गोविंदपुरा में साउंड मीटर के साथ शोर को मापा. हर जगह हमें डीजे और साउंड सिस्टम की आवाज 90 से 100 डेसिबल के बीच मिली.
स्थानीय नागरिक डॉ नेहा पवार का कहना है कि डीजे की तेज आवाज से भारी परेशानी होती है. डीजे और साउंड को लेकर एक टाइम लिमिट सेट होनी चाहिए.वॉल्यूम की लिमिट भी तय होने चाहिए. दूसरे नागरिक धर्मेंद्र लोधी का कहना है कि साउंड सिस्टम से बच्चों और बुजुर्गों को भारी परेशानी होती है. ये प्रशासनिक कर्मचारियों की गलती है कि वो मुख्यमंत्री के आदेश का पालन नहीं करवा पा रहे हैं.दरअसल परेशानी यही है कि नियम तय हैं लेकिन लोग मानने को लोग तैयार नहीं, पालन कराने में पुलिस-प्रशासन की दिलचस्पी भी कम है.
भोपाल की ENT स्पेशलिस्ट डॉ अनुषा शुक्ला इसकी तस्दीक करती हैं. उनका कहना है कि हर इंसान का कान अलग-अलग तरीके का होता है उसकी क्षमता अलग होती है. तेज शोर पर्दे के साथ-साथ सुनाई देने की नस को डैमेज करता है ,समय पर इलाज न लेने पर स्थाई तौर पर बहरापन हो सकता है. कार्डियोलोजिस्ट किसलय श्रीवास्तव का कहना है कि तेज आवाज से दिल की धड़कन अनियमित होने की आशंका रहती है. यह ट्रिगर फैक्टर होता है,कई मामलों में यह घातक साबित होता है और जान भी जाने का खतरा रहता है.
बता दें कि डीजे की तेज आवाज पर नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन भी जारी की है. इसके अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी कुर्सी संभालते ही सबसे पहला आदेश डीजे के शोर को काबू में रखने का दिया था. जब हमने भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र से इस संबंध में सवाल पूछा तो उन्होंने बताया कि पुलिस एक्शन ले रही है. हाल ही में पुलिस ने 91 डीजे संचालकों पर कोलाहल अधिनियम के तहत कार्रवाई की है. उन्होंने ये भी दावा किया कि भोपाल के सभी थाना प्रभारियों को हमने नियमों के तहत कार्रवाई करने को कहा है.
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