मध्य प्रदेश में रेल परियोजना के लिए 1.24 लाख पेड़ों को काटने की योजना बनाई जा रही है. महू-खंडवा आमान परिवर्तन परियोजना का एक हिस्सा घने जंगलों से होकर गुजरेगा, जिसके निर्माण के लिए लगभग सवा लाख पेड़ काटे जा सकते हैं. अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि इस अहम परियोजना के तहत रेलवे की ऐतिहासिक छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदला जा रहा है.
उन्होंने बताया कि नए रेल मार्ग के कारण मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर और देश की आर्थिक राजधानी के रूप में मशहूर मुंबई के बीच की दूरी कम हो जाएगी. इससे पश्चिमी मध्य प्रदेश का दक्षिण भारत से भी संपर्क मजबूत होगा.
पर्यावरणविदों ने रेल लाइन बिछाए जाने के लिए बड़ी तादाद में पेड़ काटे जाने की योजना के कारण आबो-हवा पर बुरे असर को लेकर आगाह किया है, जबकि वन विभाग का कहना है कि उसने पेड़ कटाई से पर्यावरण पर होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने की विस्तृत योजना बनाई है.
पेड़ों को बचाने की कोशिश जारी
इंदौर के वन मंडलाधिकारी (डीएफओ) प्रदीप मिश्रा ने बताया कि रेलवे की महू-खंडवा आमान परिवर्तन परियोजना के महू-सनावद खंड के निर्माण के लिए इंदौर और खरगोन जिलों में फैले घने जंगलों में कुल 1.41 लाख पेड़ प्रभावित होने का अनुमान है. हमारे अनुमान के मुताबिक, इनमें से 1.24 लाख पेड़ तो कटने ही हैं, लेकिन हम अन्य पेड़ों को बचाने की पूरी कोशिश करेंगे. पहाड़ी क्षेत्र में रेल लाइन के लिए सुरंगें बनने के कारण भी कई पेड़ बच जाएंगे.
डीएफओ ने बताया कि वन विभाग को रेल परियोजना के वास्ते पेड़ काटने के लिए केंद्र सरकार की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है और तय औपचारिकताओं के बाद इसकी अंतिम स्वीकृति जारी की जाएगी.
450 हेक्टेयर वन क्षेत्र हो रहा प्रभावित
उन्होंने बताया कि वन विभाग ने पेड़ों की कटाई से वन्य जीवन, मिट्टी और नमी पर होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने की विस्तृत योजना बनाई है. मिश्रा ने बताया कि महू-खंडवा आमान परिवर्तन परियोजना के महू-सनावद खंड में इंदौर जिले का 404 हेक्टेयर और खरगोन जिले का 46 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हो रहा है.
916 हेक्टेयेर में रोपे जाएंगे पौधे
डीएफओ ने बताया कि पेड़ कटाई से पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए इसके दोगुने क्षेत्र में पौधे रोपे जाएंगे. उन्होंने बताया कि इंदौर जिले में पौधारोपण के लिए सीमित जमीन उपलब्ध है. इसलिए धार और झाबुआ जिलों के वन मंडलों में कुल 916 हेक्टेयर में पौधे रोपे जाएंगे. हर हेक्टेयर में 1,000 पौधे रोपे जाएंगे.
आबो-हवा खराब होने का डर
इस बीच पर्यावरणविद शंकरलाल गर्ग ने कहा कि रेल परियोजना के लिए चोरल और महू के घने जंगलों में बड़ी तादाद में पेड़ कटेंगे. इंदौर जैसे बड़े शहर की आबो-हवा इन जंगलों पर काफी हद तक निर्भर है. नतीजतन, जंगलों में पेड़ कटने से शहर में बारिश और तापमान पर निश्चित रूप से असर होगा. उन्होंने कहा कि पेड़ कटाई से जंगलों का दायरा सिकुड़ने के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ेगा.
156 किमी लंबी बिछेगी रेल लाइन
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि महू-खंडवा आमान परिवर्तन परियोजना के तहत 156 किलोमीटर लंबी बड़ी रेल लाइन बिछाई जानी है, जबकि देश की आजादी से पहले रियासत काल में बिछाई गई छोटी लाइन की लंबाई 118 किलोमीटर थी. उन्होंने कहा कि आमान परिवर्तन परियोजना का काम जारी है, जो 2027-28 तक पूरा हो सकता है.