
Narad Jayanti 2024: हिन्दू धर्म में नारद मुनि का एक विशेष स्थान है. आज नारद जयंती का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन को नारद मुनि के जन्मोत्सव (Narad Muni's birth anniversary) के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि नारद मुनि का जन्म जब हुआ तब उन्हें तीनों लोकों में भ्रमण का वरदान प्राप्त था. नारद जी को ब्रह्मा जी का 'मानसिक पुत्र' (Mansik Putra) भी कहा जाता है. नारद जयंती के पर्व का महत्व (Importance of the festival of Narada Jayanti) क्या है और उन्हें पिता से क्या श्राप मिला था, आइए जानते हैं, इसके बारे में..
ब्रह्माजी के सात मानस पुत्रों में से एक है नारद मुनि
हर साल ज्येष्ठ मास की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है. साल 2024 में 24 मई 2024 शुक्रवार को नारद जयंती मनाई जा रही है. मान्यता है कि नारद जी ब्रह्माजी के सात मानस पुत्रों में से एक है. वे हमेशा हाथ में वीणा रखते हैं और विष्णुजी के परम भक्त हैं इसीलिए वो हर वक़्त नारायण-नारायण का जाप करते हैं.
नारद मुनि को मिला था श्राप
नारद मुनि जी को सृष्टि का पहला पत्रकार कहा जाता है. नारद मुनि तीनों लोकों में सूचना इधर से उधर पहुंचाने का काम करते थे. नारद मुनि को अपने पिता ब्रह्माजी से श्राप मिला था, जिसका पुराणों में उल्लेख किया गया है आइए जानें क्या श्राप था...
जीवन भर रहेंगे अविवाहित
भगवान ब्रह्मा ने नारद मुनि से श्रष्टि के कार्यों में मदद करने और विवाह करने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने अपने पिता ब्रह्मा की आज्ञा मानने से इनकार कर दिया था. भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहने की वजह से भगवान ब्रम्हा उनके पिता ने उन्हें श्राप दे दिया कि वे आजीवन विवाहित रहेंगे और उनका कभी भी विवाह नहीं होगा. मान्यता है कि नारद जयंती के दिन ब्राह्मणों को भोज कराने और दान दक्षिणा देने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है.
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