
Choti Pipli Benefits: पिप्पली (पाइपर लोंगम) भारतीय आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है, जिसे प्राचीन काल से विभिन्न रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता रहा है. चरक संहिता में इसे न केवल पाचन सुधारक, बल्कि शक्तिवर्धक और बल्य रसायन के रूप में वर्णित किया गया है. पिप्पली का उपयोग शरीर की कई कार्यप्रणालियों को सुधारने में सहायक है, जैसे पाचन तंत्र, प्रतिरक्षा प्रणाली और श्वसन तंत्र.
पिप्पली की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि यह जठराग्नि को तेज करती है, जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है और भूख में वृद्धि होती है. एक चुटकी पिप्पली चूर्ण को घी के साथ भोजन से पहले लेने से अपच और गैस जैसी समस्याओं से राहत मिलती है. इसके अलावा, यह श्वास, खांसी और अस्थमा जैसे श्वसन रोगों में भी लाभकारी है. पिप्पली का काढ़ा बलगम को बाहर निकालने में मदद करता है और गले की खराश को शांत करता है.
इम्युनिटी सिस्टम भी करता है दुरुस्त
पिप्पली शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है, जिससे व्यक्ति बार-बार बीमारियों से बचा रहता है. यह रसायन के रूप में शरीर को धीरे-धीरे मजबूत करती है. इसके नियमित सेवन से व्यक्ति का इम्यूनिटी सिस्टम भी दुरुस्त रहता है.
यौन दुर्बलता को भी करता है दूर
पुरुषों के लिए पिप्पली को बलवर्धक और वीर्यवर्धक माना गया है. इसके संयोजन से यौन दुर्बलता, थकान और वीर्य की कमी में सुधार होता है. इसके अलावा, पिप्पली का सेवन बुखार में भी सहायक है, क्योंकि यह शरीर से पसीना निकालकर तापमान को नियंत्रित करता है.
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पिप्पली के उपयोग को एक आयुर्वेदिक टॉनिक के रूप में भी किया जाता है, जिसे 40-50 दिनों तक नियमित रूप से सेवन करने की सलाह दी जाती है. इसके अंदर पाया जाने वाला पाइपरीन तत्व शरीर में औषधियों के अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे इसके चिकित्सकीय गुणों का प्रभाव अधिक होता है. इसके अलावा, पिप्पली में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और हेपटोप्रोटेक्टीवे (लिवर-संरक्षक) गुण होते हैं, जो शरीर के विभिन्न अंगों को स्वस्थ रखते हैं.
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