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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: मुगलों से लोहा लेने वाले छत्रपति महाराज को श्रद्धांजलि! जानिए उनका जीवन

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: शिवाजी महराज को रायगढ़ में मराठों के राजा के रूप में ताज पहनाया गया था. इनको छत्रपति, शाककार्ता, क्षत्रिय कुलवंत और हैंदव धर्मोधारक की उपाधि दी गई थी. शिवाजी महराज द्वारा स्थापित मराठा साम्राज्य समय के साथ बड़ा होता गया था और 18वीं शताब्दी की शुरुआत में प्रमुख भारतीय शक्ति बन गया था. आइए जानते हैं शिवाजी के बारे में.

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: मुगलों से लोहा लेने वाले छत्रपति महाराज को श्रद्धांजलि! जानिए उनका जीवन
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025: शिवाजी महराज का जीवन

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025: छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) की शौर्यगाथा इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है. वे भारतीय इतिहास के सबसे वीर और कुशल योद्धाओं में से एक हैं, उनका नाम हर मराठा गर्व के साथ लेता है. छत्रपति शिवाजी महाराज केवल महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे देश में वीरता की मिसाल हैं. आज 19 फरवरी को उनकी छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है. इस मौके पर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है और श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. आइए जानते हैं मुगलों के छक्के छुड़ाने वाले वीर छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे.

पहले देखिए PM ने कैसे दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती पर लिखा है कि "मैं छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ. उनके पराक्रम और दूरदर्शी नेतृत्व ने स्वराज्य की नींव रखी, पीढ़ियों को साहस और न्याय के मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। वे हमें एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत के निर्माण के लिए प्रेरित करते हैं."

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा है कि छत्रपति शिवाजी महाराज जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन और अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. अपने साहस और शौर्य से उन्होंने हमें निडरता और पूरे समर्पण के साथ आवाज़ उठाने की प्रेरणा दी. उनका जीवन हम सभी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा.

सीएम डॉ मोहन यादव ने लिखा है कि "हिन्दवी स्वराज्य के संस्थापाक, वीर शिरोमणि एवं राष्ट्रनायक छत्रपति शिवाजी महाराज जी की जयंती पर सादर नमन करता हूँ. मातृभूमि के सम्मान एवं स्वतंत्रता के लिए शिवाजी महाराज जी की निष्ठा, समर्पण और बलिदान हमें अनंत काल तक प्रेरित करती रहेगी."

वहीं CM विष्णु देव साय ने लिखा है कि "अदम्य साहस व शौर्य के प्रतीक एवं कुशल प्रशासक छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन. छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन साहस, संकल्प और आत्मसम्मान का प्रतीक है. उनकी अमर गाथा भारत के युवाओं में राष्ट्रप्रेम और अदम्य उत्साह की भावना जागृत करती रहेगी."

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन कैसा रहा?

अब जानिए कौन थे छत्रपति शिवाजी महाराज? Who is Chhatrapati Shivaji Maharaj

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को महाराष्ट्र में पुणे के शिवनेरी किले में हुआ था. उनका जन्म एक मराठा सेनापति शाहजी भोंसले के घर हुआ था, जिनके अधिकार में बीजापुर सल्तनत के तहत पुणे और सुपे की जागीरें थीं तथा उनकी माता जीजाबाई, एक धर्मपरायण महिला थीं, जिनके धार्मिक गुणों का उन पर गहरा प्रभाव था. 

इन्होंने वर्ष 1645 में पहली बार अपने सैन्य उत्साह का प्रदर्शन किया, जब किशोर उम्र में ही इन्होंने बीजापुर के अधीन तोरण किले पर सफलतापूर्वक नियंत्रण प्राप्त कर लिया. इन्होंने कोंडाना किले पर भी अधिकार किया. ये दोनों किले बीजापुर के आदिल शाह के अधीन थे.

शिवाजी ने वर्ष 1659 में पुणे में शाइस्ता खान (औरंगज़ेब के मामा) और बीजापुर सेना की एक बड़ी सेना को हराया था. शिवाजी ने वर्ष 1664 में सूरत के मुगल व्यापारिक बंदरगाह को अपने कब्ज़े में ले लिया. जून 1665 में शिवाजी और राजा जय सिंह प्रथम (औरंगजेब का प्रतिनिधित्व) के बीच पुरंदर की संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे. इस संधि के अनुसार, मराठों को कई किले मुगलों को देने पड़े और शिवाजी, औरंगज़ेब से आगरा में मिलने के लिये सहमत हुए. शिवाजी अपने पुत्र संभाजी को भी आगरा भेजने के लिये तैयार हो गए.

इन युद्धों के लिए याद किए जाते रहेंगे शिवाजी

  • प्रतापगढ़ का युद्ध, 1659 : यह युद्ध मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेनापति अफज़ल खान की सेनाओं के बीच महाराष्ट्र के सतारा शहर के पास प्रतापगढ़ के किले में लड़ा गया था.
  • पवन खिंड का युद्ध, 1660 : मराठा सरदार बाजी प्रभु देशपांडे और आदिलशाही के सिद्दी मसूद के बीच महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर के पास (विशालगढ़ किले के आसपास) एक पहाड़ी दर्रे पर लड़ा गया था.
  • सूरत का युद्ध, 1664 : गुजरात के सूरत शहर के पास छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल कप्तान इनायत खान के बीच लड़ा गया था.
  • पुरंदर का युद्ध, 1665 : मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया था.
  • सिंहगढ़ का युद्ध, 1670 : महाराष्ट्र के पुणे शहर के पास सिंहगढ़ के किले पर मराठा शासक शिवाजी महाराज के सेनापति तानाजी मालुसरे और जय सिंह प्रथम के अधीन गढ़वाले उदयभान राठौड़, जो मुगल सेना प्रमुख थे, उनके बीच लड़ा गया था.
  • कल्याण का युद्ध, 1682-83 : मुगल साम्राज्य के बहादुर खान ने मराठा सेना को हराकर कल्याण पर अधिकार कर लिया था.
  • संगमनेर की युद्ध, 1679 : मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया. यह आखिरी युद्ध थी जिसमें मराठा राजा शिवाजी लड़े थे.

गिरफ्तारी और मौत

जब शिवाजी वर्ष 1666 में आगरा में मुगल सम्राट से मिलने गए, तो मराठा योद्धा को लगा कि औरंगज़ेब ने उनका अपमान किया है जिससे वे दरबार से बाहर आ गए. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर बंदी बना लिया गया. शिवाजी और उनके पुत्र का आगरा से भागने की कहानी आज भी प्रामाणिक नहीं है. इसके बाद वर्ष 1670 तक मराठों और मुगलों के बीच शांति बनी रही. मुगलों द्वारा संभाजी को दी गई बरार की जागीर उनसे वापस ले ली गई थी. इसके जवाब में शिवाजी ने चार महीने की छोटी सी अवधि में मुगलों के कई क्षेत्रों पर हमला कर उन्हें वापस ले लिया. शिवाजी ने अपनी सैन्य रणनीति के माध्यम से दक्कन और पश्चिमी भारत में भूमि का एक बड़ा हिस्सा हासिल कर लिया.  3 अप्रैल, 1680 को इनकी मृत्यु हो गई.

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