
Devi Ahilya Bai Holkar National Honor : लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती. कोशिश करने वालों की हार नहीं होती... सोहन लाल द्विवेदी की ये पंक्तियां हर उस शख्स को हौसला देती हैं, जो कुछ बेहतर करना चाहता है. कुछ ऐसा ही हौसला इन पंक्तियों ने दिया है छत्तीसगढ़ के बस्तर की डॉ. जयमती कश्यप को... और शायद इसी हौसले की वजह से आज वो देवी अहिल्या बाई होल्कर राष्ट्रीय सम्मान तक का सफर तय कर लिया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने जब अपने हाथों से लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर के नाम का सम्मान जयमती को सौंपा तो ये पल उनकी जिंदगी का अबतक का सबसे खास पल बन गया. चलिए जानते हैं अब जयमती कश्यप के बारे में.
10 विषय से MA किया

डॉ.जयमती कश्यप छत्तीसगढ़ के बस्तर की रहने वाली हैं.इनका जीवन संघर्ष, समर्पण और समाज सेवा से भरा हुआ एक प्रेरणादायक उदाहरण है. इन्होंने 10 विषय से MA किया है. पीएचडी पूरी की है. लेकिन कभी पाठशाला का मुंह तक नहीं देखा. बचपन में किताबें मांग कर पढ़ाई की थी. परिवार में बहन के अलावा कोई नही था.
गोंडी भाषा में दो किताबें लिखी हैं
ये हलवी और गोंडी में लोकगीत गायन करती हैं.गोंडी भाषा को आगे बढ़ाया और गोंडी भाषा में दो किताबें लिखी हैं. आज भी बच्चों को पढ़ाने के लिए सिस्टम ले लड़ती हैं. डॉ. जयमती कश्यप ने कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बीच अपने लिए एक ऐसा रास्ता बनाया, जिससे वे न केवल खुद आगे बढ़ीं, बल्कि अपने समुदाय के लिए भी रोशनी बन गईं.
डॉ जयमती कश्यप की कहानी
जिले में महिला-बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक के पद पर कार्यरत हैं.इससे पहले इनको रायपुर की दो संस्थाओं रोटरी क्लब ऑफ रायपुर ग्रेटर और क्रिएटिव आई प्रमोशन्स" ने 2019 का मणिकर्णिका सम्मान दिया. साथ ही बस्तर के परगनाओं की सामाजिक,आर्थिक एवं धार्मिक व्यवस्था का एक ऐतिहासिक अध्ययन विषय शोध भी किया है.
इससे पूर्व उन्हें महिला-बाल विकास विभाग द्वारा किशोरी-बालिका सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है. डॉ. कश्यप ने अब तक जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला, केन्द्र नई दिल्ली सहित विभिन्न महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यशालाओं व संगोष्टियों में भाग ले चुकी हैं. वे देश की शीर्षस्थ साहित्यिक संस्था साहित्य अकादमी द्वारा पिछले वर्ष आयोजित लाइव टेलीकास्ट सेमिनार में भी शिरकत कर चुकी हैं.
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