Atal Bihari Vajpayee 101th Birthday: भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की जयंती को हम सब सुशासन दिवस (Good Governance Day 2025) के तौर पर मनाते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस पर सुशासन की शपथ भी दिलवायी जाती है. अटल बिहारी वाजपेयी एक विराट व्यक्तित्व के धनी थे. सत्ता पक्ष और विपक्ष ने उन्हें हमेशा पूरा सम्मान दिया. उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल में अनेकों ऐतिहासिक कार्य हुए हैं. सफल परमाणु परीक्षण भी उनके कार्यकाल की देन है. पूर्व प्रधानमंत्री सिर्फ जननेता ही नहीं बल्कि एक प्रखर वक्ता और ओजस्वी कवि भी थे.
Former PM Shri Atal Bihari Vajpayee not only shaped our history but also secured India's future...🙏🏻
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Thanks to Atal ji
• India stands tall as a nuclear power
• India laid the foundation for missile strength and strategic defence capability
Atal ji's vision did not end with an… pic.twitter.com/KiWrFR6uI0
सुशासन क्या है? (What is Good Governance)
सुशासन को मूल्यों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया गया है जिसके माध्यम से एक सार्वजनिक संस्थान सार्वजनिक मामलों का संचालन करती है तथा सार्वजनिक संसाधनों का प्रबंधन इस तरह से करती है जो मानवाधिकारों, विधि सम्मत शासन एवं समाज की ज़रूरतों के अनुरूप हो. सुशासन को ‘विकास के लिये देश के आर्थिक एवं सामाजिक संसाधनों के प्रबंधन में शक्ति का प्रयोग करने के तरीके' के रूप में परिभाषित किया गया है. विश्व बैंक सुशासन को उन परंपराओं तथा संस्थानों के संदर्भ में परिभाषित करता है जिनके द्वारा किसी देश में प्राधिकार का प्रयोग किया जाता है. इनमें शामिल हैं: वह प्रक्रिया जिसके द्वारा सरकारों का चयन, निगरानी तथा प्रतिस्थापन किया जाता है. प्रभावी नीतियों को प्रभावी ढंग से तैयार कर उन्हें कार्यान्वित करने की सरकार की क्षमता. उन संस्थानों के प्रति नागरिकों तथा राज्य का सम्मान जो उनके बीच आर्थिक एवं सामाजिक संबंधों को नियंत्रित करते हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री, झारखंड प्रदेश के निर्माता, भारत रत्न स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मूल्य-आधारित राजनीति को आगे बढ़ाते हुए विकास और सुशासन की मजबूत नींव रखी। अटल जी ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने सिद्धांतों और विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया।
— BJP JHARKHAND (@BJP4Jharkhand) December 24, 2025
उनकी जन्म शताब्दी वर्ष पर सभी… pic.twitter.com/ePim4cYH5q
अटल जी के विचार (Quotes by Atal Bihari Vajpayee)
- वे कहते थे, “हम केवल अपने लिए ना जीएं, औरों के लिए भी जीएं... हम राष्ट्र के लिए अधिकाधिक त्याग करें. अगर भारत की दशा दयनीय है तो दुनिया में हमारा सम्मान नहीं हो सकता. किंतु यदि हम सभी दृष्टियों से सुसंपन्न हैं तो दुनिया हमारा सम्मान करेगी.”
- “गरीबी, दरिद्रता गरिमा का विषय नहीं है, बल्कि यह विवशता है, मजबूरी है और विवशता का नाम संतोष नहीं हो सकता.”
“हे प्रभु! मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना. गैरों को गले ना लगा सकूं, इतनी रुखाई कभी मत देना”
“देह धरण को दंड है, सब काहू को होये, ज्ञानी भुगते ज्ञान से मूरख भुगते रोए.”
यह देश बड़ा अद्भुत है, अनूठा है. किसी भी पत्थर को सिंदूर लगाकर अभिवादन किया जा रहा है, अभिनंदन किया जा सकता है.
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अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं (Poems by Atal Bihari Vajpayee )
गीत नया गाता हूँ...
टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
मां भारती के सपूत,
— BJP Rajasthan (@BJP4Rajasthan) December 24, 2025
जो अटल, अविचल, अडिग थे।
जिनकी वाणी में सिंहनाद था,
जिनके शब्दों में संस्कार था,
जिनके विचारों में विकास था।
कवि थे, योद्धा थे, राजनेता थे,
पर सबसे पहले भारत के सच्चे सेवक थे।
"भारत रत्न" श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी
एक युग, एक विरासत, एक विश्वास।… pic.twitter.com/Aghw8TF4bX
मौत से ठन गई...
ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िंदगी से बड़ी हो गई
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िंदगी-सिलसिला, आज-कल की नहीं
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा
मौत से बेख़बर, ज़िंदगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी है कोई गिला
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आँधियों में जलाए हैं बुझते दिए
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई,
मौत से ठन गई.
सपना टूट गया...
हाथों की हल्दी है पीली
पैरों की मेहँदी कुछ गीली
पलक झपकने से पहले ही सपना टूट गया
दीप बुझाया रची दीवाली
लेकिन कटी न मावस काली
व्यर्थ हुआ आवाहन स्वर्ण सबेरा रूठ गया
सपना टूट गया
नियति नटी की लीला न्यारी
सब कुछ स्वाहा की तैयारी
अभी चला दो कदम कारवाँ साथी छूट गया
सपना टूट गया
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रोते-रोते रात सो गई...
रोते-रोते रात सो गई
झुकी न अलकें
झपी न पलकें
सुधियों की बारात खो गई
दर्द पुराना
मीत न जाना
बातों ही में प्रात हो गई
घुमड़ी बदली
बूँद न निकली
बिछुड़न ऐसी व्यथा बो गई
रोते-रोते रात सो गई
आओ फिर से दिया जलाएँ...
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाईं से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वतर्मान के मोहजाल में आने वाला कल न भुलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
आहुति बाक़ी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज्र बनाने नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री और 'भारत रत्न' से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी जयंती पर नमन!#AtalBihariVajpayee #अटल_बिहारी_वाजपेयी@PMOIndia @HMOIndia @MinOfCultureGoI @AshwiniVaishnaw @Murugan_MoS @PIBHindi @DDNewsHindi @AIRNewsHindi pic.twitter.com/NOaMiECgjx
— सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (@MIB_Hindi) December 25, 2024
अटल बिहारी वाजपेयी का परिचय (Atal Bihari Vajpayee | Biography & Facts)
स्व. अटल बिहारी वाजपेयी 16 से 31 मार्च, 1996 तक और फिर 19 मार्च, 1998 से 13 मई, 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. वाजपेयी जी जवाहर लाल नेहरू के बाद लगातार तीन लोकसभा चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनने वाले पहले नेता बन गए थे. श्रीमती इंदिरा गांधी के बाद लगातार तीन बार अपने नेतृत्व में पार्टी को जीत दिलाने वाले इकलौते प्रधानमंत्री का गौरव श्री वाजपेयी जी के नाम है. 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में कृष्ण बिहारी वाजपेयी और कृष्णा देवी के घर जन्मे वाजपेयी जी के पास चार दशक से अधिक समय का संसदीय अनुभव था. वे 1957 से संसद सदस्य रहे हैं. वे 5वीं, 6वीं, 7वीं लोकसभा और फिर उसके बाद 10वीं, 11वीं, 12वीं और 13वीं लोकसभा में चुनाव जीतकर पहुंचे. इसके अलावा 1962 और 1986 में दो बार वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे. वर्ष 2004 में वे पांचवी बार लगातार लखनऊ से चुनाव जीतकर लोक सभा पहुंचे.
अटल जी ने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातक किया. इसके बाद उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीतिशास्त्र में परास्नाएतक की डिग्री हासिल की. शिक्षा के दौरान कई साहित्यिक, कलात्मक और वैज्ञानिक उपलब्धियां उनके नाम रहीं. उन्होंने राष्ट्रधर्म (मासिक पत्रिका), पाञ्चजन्य (हिंदी साप्ताहिक) के अलावा दैनिक अखबारों जैसे स्वदेश और वीर अर्जुन का संपादन किया. इसके अलावा भी उनकी बहुत सी किताबें प्रकाशित हुईं जिनमें मेरी संसदीय यात्रा-चार भाग में, मेरी इक्यावन कविताएं, संकल्प काल, शक्ति से शांति, फोर डीकेड्स इन पार्लियामेंट 1957-95 (स्पीचेज इन थ्री वॉल्यूम), मृत्यु या हत्याध, अमर बलिदान, कैदी कविराज की कुंडलियां (इमरजेंसी के दौरान जेल में लिखी गई कविताओं का संकलन), न्यू डाइमेंसंस ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी आदि प्रमुख हैं.
राष्ट्र के प्रति उनके सेवाओं के मद्देनजर वर्ष 1992 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. उन्हें लोकमान्य तिलक पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ संसद सदस्य आदि पुरस्कार से नवाजा गया. इससे पहले 1993 में कानपुर विश्वदविद्यालय ने मानद डॉक्ट्रेट की उपाधि से नवाजा था. वर्ष 2014 में उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा की गयी और मार्च 2015 में उन्हें भारत रत्न से प्रदान किया गया. उन्हें 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' की उपाधि से अलंकृत किया गया. 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया.
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