मध्यप्रदेश के मालवांचल में बसा उज्जैन प्रदेश के प्राचीनतम शहरों में से एक है. इसे प्राचीन काल में अवंतिका के नाम से जाना जाता था. कुछ ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार 101 ईसा वर्ष पूर्व इस नगरी पर विक्रमादित्य का राज था. गीता प्रेस, गोरखपुर भविष्य पुराण के पेज नंबर 245 के अनुसार उन्होंने यहां सौ सालों तक राज का किया. हिंदू पंचांग देखते हुए हम जिस विक्रम संवत की बात करते हैं. उसकी शुरुआत भी विक्रमादित्य से ही होती है.
कालों में काल महाकाल की महिमा से ये शहर महाकाल की नगरी कहलाता है. जिससे कई दिलचस्प तथ्य भी जुड़े हुए हैं. जो ऐतिहासिक और धर्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस शहर को और खास और दिलचस्प बनाते हैं.
कृष्ण, शिव और शक्ति से जुड़ा शहर
ऐतिहासिक महत्व
क्षिप्रा नदी के किनारे बसे इस शहर राजा विक्रमादित्य ने बरसों राज किया है. दंत कथाओं में मशहूर सिंहासन बत्तीसी, जो राजा विक्रमादित्य का सिंहासन माना जाता है. उसका नाता भी इसी शहर से रहा है.
विक्रमादित्य का दरबार भी रुद्रसागर के बीच टीले पर, इस शहर में ही देखा जा सकता है. जिसमें नवरत्न हुआ करते थे. जिनके नाम थे
1. धनवंतरी
2. क्षिपाका
3. अमरसिम्हा
4. शंकु
5. वेताल भट्ट
6. घटकारपारा
7. कालीदासा
8. वराहमिहिर
9. वररुचि
विक्रमादित्य का राज तुर्की के इस्ताम्बुल शहर की प्रसिद्ध लायब्रेरी मकतब-ए-सुल्तानिया में रखी एक ऐतिहासिक किताब 'सायर-उल-ओकुल' में भी दर्ज है. जिसमें उसे सबसे न्यायप्रिय, उदार समय बताया गया है. इसी के आधार पर कहा जाता है कि महाकाल की नगरी में रात गुजारने की हिम्मत सिर्फ वही राजा कर सकता है जो विक्रमादित्य जैसा न्यायप्रिय, उदार और प्रजा का हितैषी हो.
महाकाल लोक
आधुनिक समय में महाकाल के इस शहर का मुख्य आकर्षण है महाकाल लोक. इस भव्य लोक में भगवान शिव से जुड़ी अलग अलग कथाओं का वर्णन है. ये वर्णन सुंदर और सटीक मूर्तियों के जरिए किया गया है. जिन्होंने शिव चालीसा नहीं पड़ी या शिव से जुड़ी किंवदंतियां नहीं सुनी हैं वो महाकाल लोक में आकर भगवान शिव की महिमा को महसूस कर सकते हैं.
अन्य जानकारी -
क्षेत्रफल- 6091 वर्ग किमी
जनसंख्या : 19,86,864
गांव: 1112
पुरुष: 10,16,289
महिला: 9,70,575
विकासखंड -6
पंचायत – 609
विधानसभा क्षेत्र- 7