
मध्य प्रदेश का शिवपुरी जिला एक गौरवशाली इतिहास का गवाह रहा है. इस क्षेत्र पर हिंदू राजाओं सहित मुगलों का भी राज रहा है. भगवान शिव के नाम पर इस जगह को नाम दिया गया है, जहां साल 1804 तक कच्छवाहा राजपूतों ने राज किया. उसके बाद यहां सिंधिया राजपरिवार का साम्राज्य कायम हुआ. सिर्फ राजसी इतिहास ही नहीं शहर का एक इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़ा है. इसी शहर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तात्या टोपे को फांसी दी गई थी. शिप्री दुर्ग के पास 18 अप्रैल 1859 को तात्य टोपे को शहादत मिली थी. उस दौर में सिपरी के नाम जाना जाने वाला ये जिला सिंधिया शासकों की गर्मियों की राजधानी के रूप में भी जाना जाता था. जहां वो शिकार करने जाते थे.
टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी

शिवपुरी में माधव नेशनल पार्क का प्रवेश द्वार, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा
जिले में माधव नेशनल पार्क स्थित है. यही जंगल राजा-महाराजाओं के दौर में उनका शिकारगाह हुआ करता था. मुगल बादशाह भी इस घने जंगल में शिकार खेलने आते थे. आधुनिक समय में इसे माधव नेशनल पार्क में तब्दील कर दिया गया, ताकि वन्य प्राणियों का संरक्षण हो सके. 157.58 वर्ग किमी में फैले इस पार्क में बाघों के अलावा चिंकारा, चीतल, नील गाय, सांभर, तेंदुए जैसे वन्य जीव भी पाए जाते हैं. अब इस नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने की चर्चा भी शुरू हो चुकी है. इस काम के लिए कुछ औपचारिक कार्यवाही शेष हैं. उसके बाद कभी भी इस नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल सकता है.
किले का दिलचस्प इतिहास
सिंधिया शासकों के राज में शिवपुरी में कई इमारतों का निर्माण हुआ. महारानी सख्या राजे सिंधिया की याद में बना समाधि स्थल, माधव राव सिंधिया का समाधि स्थल यहां मौजूद है. जो मुगल और राजपुतान शैली का नायाब मिश्रण है. इसके अलावा यहां जॉर्ज कैसल भी है. ये बुलंद इमारत भी सिंधिया शासकों ने ही बनवाई थी. दिलचस्प बात ये है कि ये महल इंग्लैंड के किंग जॉर्ज फिफ्थ के लिए बनवाया गया था, जो यहां सिर्फ एक रात रुकने के लिए आए थे. इस दौरान वो शिवपुरी के जंगलों में शिकार करने भी गए थे.
शिवपुरी जिले को जानिए
- क्षेत्रफल- 10,666 वर्ग किमी
- तहसील - 09
- जनपद - 08
- ग्राम पंचायत- 614
- ग्राम - 1305
- नगर पालिका- 08
- विधानसभा क्षेत्र -5