छत्तीसगढ़ के सिरपुर में 'लाल ताजमहल' (Red Taj Mahal) हैं, जो प्राचीन काल में बनाया गया हैं. दरअसल सिरपुर महानदी के तट स्थित एक पुरातात्विक स्थल है. इस स्थान का प्राचीन नाम 'श्रीपुर' है. यह एक विशाल नगर हुआ करता था और यह पांचवीं से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कोसल की राजधानी थी. यह स्थल पवित्र महानदी के किनारे पर बसा हुआ है. सिरपुर में सांस्कृतिक एवं वास्तुकौशल की कला का अनुपम संग्रह है. सोमवंशी नरेशों ने यहां पर राम मंदिर और लक्ष्मण मंदिर का निर्माण करवाया था. ईंटों से बना हुआ प्राचीन लक्ष्मण मंदिर आज भी यहां का दर्शनीय स्थान है.
लक्ष्मण मंदिर सिरपुर
लाल ईंटों से निर्मित लक्ष्मण मंदिर छत्तीसगढ़ के सिरपुर में सदियों से है. जब इसे बाहर से देखा जाता है, तो यह एक सामान्य हिंदू मंदिर जैसा दिखता है, लेकिन इसकी वास्तुकला, निर्माण और इस मंदिर के बनने के पीछे की कहानी के कारण लक्ष्मण मंदिर को 'लाल ताज महल' भी कहा जाता है. इस मंदिर में जटिल नक्काशी और कला प्रतिनिधित्व हैं, जो इस मंदिर को अधिक आकर्षक बनाते हैं. एक बहुत बड़े मंच पर पूरी तरह से ईंट से निर्मित यह अत्यंत विशाल मंदिर, भगवान विष्णु को समर्पित है. उत्तर और दक्षिण दिशा से मंदिर के आंगन के शीर्ष तक पहुंचने के स्टेप हैं. मंदिर में एक गर्भगृह और मंडप शामिल हैं.अगर हम मंदिर के प्रवेश द्वार के बारे में बात करते हैं तो यह बहुत सुंदर है, जिसमें शेष भगवान विष्णु उत्कीर्ण हैं. विष्णु लीला के दृश्य और भगवान विष्णु के मुख्य अवतार भी वर्णित हैं.
सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर का इतिहास
यह न केवल एक प्राचीन स्मारक है, बल्कि ‘गहरे प्रेम' का एक अनूठा उदहारण है. यह पति के प्यार का प्रतीक है. नागर शैली के मंदिर का निर्माण 735-40 ईस्वी में महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासन के दौरान राजा हर्षगुप्त की याद में रानी वसाटा देवी के द्वारा बनवाया गया था. खुदाई में मिले शिलालेखों के अनुसार, यह अद्वितीय प्रेम स्मारक ‘ताजमहल से भी पुराना है. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, लेकिन मंदिर के अंदर पांच फन वाले शेषनाग के रूप में लक्ष्मण की मूर्ति विराजमान है, इसलिए इसे लक्ष्मण मंदिर कहा जाता है.
मूर्तियों के शिलालेखों के लिए बना म्यूजियम
सिरपुर में प्राचीन समय के खुदाई के दौरान मिलने वाले मूर्तियां शिलालेख को म्यूजियम में सुरक्षित तरीके से रखा गया है. सिरपुर में खुदाई के दौरान हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के अवशेष यहां पाएं गए हैं. उन अवशेषों का वर्णन इस स्थान पर तीन विशाल म्यूजियम के माध्यम से विस्तार से बताया गया है. यह इतिहास से जुड़ी मूर्तिकलाओं को देखने एवं समझने के लिए बहुत बेहतरीन जगह है.
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लक्ष्मण मंदिर में हैं रहस्मयी कुआ
लक्ष्मण मंदिर परिसर में रहस्यमी कुआ देखने को मिलता है. यह कुआ प्राचीन समय में अंडे के आकार में निर्माण किया गया है, जो ऊपरी सतह से फैला हुआ हैं और नीचे की सतह से चिपका हुआ है. बताया जाता है की यह कुआ भूकंप रोधी कुआ है इस कुएं पर प्राकृतिक आपदा का कोई प्रभाव नही पड़ता है.
दृष्टिबाधित लोगों के लिए मार्ग
लक्ष्मण मंदिर परिसर का पूरा भ्रमण करने के लिए दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए अलग से मार्ग का निर्माण किया गया है. जिसके माध्यम से नेत्रहीन व्यक्ति अपनी यात्रा पूरी कर सकें. साथ ही साथ उन्हे मंदिर के बारे में पूरी जानकारी मिल सके, उसके लिए यहां के इतिहास एवं मंदिर की संपूर्ण जानकारी ब्रेल लिपि के जरिए दर्शायी गई है.
शिवपुर के राम मंदिर भी जाते हैं पर्यटक
लक्षण मंदिर से कुछ ही दूरी पर प्राचीन राम मंदिर है. लक्ष्मण मंदिर घूमने के बाद सैलानी राम मंदिर घूमने जाते है. सिरपुर का राम मंदिर प्राचीन इतिहास से जुड़ा हुआ हैं. इस जगह पर भी प्राचीन काल के शिलालेख देखने को मिलते हैं.
लक्षण मंदिर परिसर घूमने के लिए सबसे पहले आपको टिकट गेट पर टिकट लेना पड़ता है, जिसकी कीमत प्रति व्यक्ति 25 रूपए है.अगर कोई व्यक्ति वीडियो बनाने एवं फोटो लेने के उद्देश से जाता है तो उसके लिए उसे अलग से टिकट लेना पड़ता है. सिरपुर लक्ष्मण मंदिर जाने का कोई विशेष समय नहीं है. इस ऐतिहासिक स्थान पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में सैलानी दूर-दूर से आते हैं.अगर आप लक्ष्मण मंदिर के प्राचीन इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं तो वहां गाइड अवश्य साथ में ले जाएं, ताकि आप दर्शन करने के साथ-साथ वहां के इतिहास के बारे में भी अच्छे से जान पाएं.