मध्यप्रदेश का एक ऐसा जिला जिसकी मिट्टी की 'खूश्बू' दूर-दूर तक फैली है. इसी मिट्टी से 'सफेद सोना' निकलता है और देशभर में यहां की पहचान बनाता है. हम बात कर रहे हैं एमपी के छोटे से जिले राजगढ़ (Rajgarh) की. जहां की मिट्टी काफी उपजाऊ है. काली और हल्के लाल रंग की इस मिट्टी को कलमाट कहा जाता है. यह कपास फसल के लिए काफी अच्छी मानी जाती है, जिसे सफेद सोना भी कहा जाता है. इस मिट्टी की खास बात यह है कि यह नमी को बनाए रखती है, जिससे बिना सिंचाई के भी रबी और खरीफ की फसलें जिले में लहलहाती हैं.
राजगढ़ में जारी हुआ था पहला मानव विकास रिपोर्ट
राजगढ़ जिला मई 1948 में बना था.कम ही लोग जानते हैं कि राजगढ़ भारत का वह जिला है, जिसने सबसे पहला मानव विकास रिपोर्ट (Human Development Report) निकाला था. राजगढ़ अपनी स्वच्छता और सुंदरता के लिए भी जाना जाता हैं. यहां में निकलने वाली नेवज नदी को ही शास्त्रों में निर्विन्ध्या नाम से जाना जाता था.
खास है राजगढ़ की सिंचाई परियोजना
राजगढ़ में गेहूं, ज्वास और कपास की खेती ज्यादा होती है. यहां सबसे बेहतर क्वालिटी के कपास की पैदावार होती है. यहां मोहनपुरा डैम सिंचाई परियोजना चल रही है, जो देश की पहली ऐसी परियोजना है, जिसकी मदद से प्रेशर से खेतों में सिंचाई की जाती है. केंद्र सरकार ने इसे आकांक्षी जिला चुना है.
भील राजाओं की राजधानी का दिलचस्प इतिहास
राजगढ़ का प्राचीन नाम झांझानीपुर था. कभी यहां भीलों का शासन हुआ करता था. भील राजा कुलदेवी मां जालपा की स्थापना कर पूजा-अर्चना करते थे. यहां एक ऐतिहासिक किला है. राजगढ़ का नरसिंहगढ़ मालवा का 'कश्मीर' कहा जाता है. यहां का खिलचीपुर, कोटराविहार, नरसिंहगढ़ और कुरावर काफी प्रसिद्ध जगहें हैं.
एक नजर में राजगढ़
- जनसंख्या- 15,45,814
- साक्षर- 61.21%
- विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र- 5
- लोकसभा क्षेत्र- 1
- तहसील- राजगढ़, सारंगपुर, खिलचीपुर, बियोरा, जीरापुर, पचोर और नरसिंहगढ़
- प्रमुख व्यंजन- दाल-बाटी
- प्रमुख फसल- गेहूं, ज्वार, कपास