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This Article is From Jul 10, 2023

बैतूल- ग्रीन सिटी का दर्जा है प्राप्त, ताप्ती नदी यहीं से निकलती है

बैतूल मध्यप्रदेश का वह जिला है, जहां न्यूक्लियर प्लांट प्रस्तावित है. शहर से 45 किलोमीटर पश्चिम में भीमपुर नाम का गांव है. यहां 2,800 मेगावाट परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Betul Nuclear Power plant) की जगह है.

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बैतूल- ग्रीन सिटी का दर्जा है प्राप्त, ताप्ती नदी यहीं से निकलती है

मध्यप्रदेश की ग्रीन सिटी के नाम से भी पहचाने वाला जिला बैतूल हैंडक्राफ्ट को लेकर अलग पहचान रखता है. यहां बर्तन, चांदी, लाख की चूड़ियां बनाने का काम होता है. धातु शिल्प को भरने की विधि को लेकर ये जिला काफी मशहूर है. यहां बर्तन, पशु-पक्षी की आकृति और अन्य सामान बनाने का काम भरेवा शिल्पकला विधि से किया जाता है. बैतूल का तिगरिया गांव हस्तशिल्प से जुड़े व्यापार का प्रमुख केंद्र है. बैतूल में गन्ने की पैदावार भी बहुत ज्यादा होती है. इस जिले की ज्यादातर आबादी आदिवासी है. 

बदनूर से बैतूल बनने तक का सफर
20वीं सदी की शुरुआत से पहले ये जिला बदनूर नाम से जाना जाता था, जो बाद में बैतूल बना. इसका वर्तमान नाम इसके दक्षिण में लगभग 5 किमी दूर बटुल बाज़ार नाम के एक छोटे से गांव से लिया गया है.बैतूल मध्यप्रदेश का वो  जिला है, जहां न्यूक्लियर प्लांट प्रस्तावित है. शहर से 45 किलोमीटर पश्चिम में भीमपुर नाम का गांव है. यहां 2,800 मेगावाट परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Betul Nuclear Power plant) की जगह है.

ताप्ती नदी का उद्गम स्थल 

तापी नदी, जिसे ताप्ती के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत में एक नदी है.

तापी नदी का उद्गम बैतूल जिले से मुलताई नाम के स्थान से होता है. मुलताई शब्द संस्कृत के शब्दों के मेलजोल से बना है जिसका अर्थ है 'तापी माता की उत्पत्ति' है.

ताप्ती नदी की कुल लंबाई लगभग 724 किलोमीटर है और यह 30 हज़ार वर्ग के क्षेत्र में बहती है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, तापी नाम, भगवान सूर्य और देवी छाया की बेटी, देवी तापी के शब्द से लिया गया है. तापी नदी का इतिहास उन स्थानों के इतिहास से गहराई से जुड़ा हुआ है जहां से होकर ये बहती है. पश्चिमी भारत की नदी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में अपना उद्गम शुरू करती है और फिर सतपुड़ा पहाड़ियों के बीच, खानदेश के पठार के पार, सूरत के मैदानों के बाद और अंत में अरब सागर में विलीन हो जाती है.

यहां मिले हैं प्रीहिस्टोरिक ऐज की आकृतियां

पुरातत्व विशेषज्ञों को कुछ ऐसे चिन्ह भी मिले हैं जिनसे संकेत मिलता है कि यहां सवा लाख साल पहले ही इंसानी जीवन रहा होगा. यहां प्रीहिस्टोरिक ऐज की आकृतियां मिली हैं. इन आकृतियों को 30,000 से सवा लाख साल पुराना बताया जाता है.

मानव सभ्यता के शुरुआती दिनों के चिन्ह यहां मिले हैं. जानकार बताते हैं कि इससे पहले इस तरह के चिन्ह यूरोप-ऑस्ट्रेलिया में ही मिले हैं. ये चिन्ह नवपाषाण काल के हो सकते हैं.

प्रकृति की गोद में बसा है बैतूल
बैतूल में काफी हरियाली है. यहां सालभर हरा-भरा वातावरण रहता है. भैसदेही तहसील की मुक्तागिरी तो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है. ये जैन धर्म का अनूठा केंद्र है. बैतूल मुक्तागिरी जैन धर्म के 52 मंदिरों वाला क्षेत्र है. प्राचीन मान्यता है कि जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के मंदिर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में केसर की वर्षा होती है.

एक नजर में बैतूल

  • जनसंख्या- 15.75 लाख
  • साक्षरता- 68.90 प्रतिशत
  • विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र- बैतूल, मुलताई, आमला, घोडाडोंगरी, भैंसदेही
  • प्रमुख फसल- मक्का, धान, गेहूं
  •  ब्लॉक -10
  • तहसील -8
  •  ग्राम पंचायत 556
  • गांव 1341
  • ग्राम पंचायत 66
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