
मध्यप्रदेश का 51वां जिला आगर मालवा...अपने अनुकूल मौसम और पानी की उपलब्धता के लिए काफी मशहूर है. यही कारण है कि आजादी के समय इस जगह को छावनी बनाया गया था. 16 अगस्त, 2013 को मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) का 51वां जिला आगर मालवा (Agar Malwa) बनाया गया. इससे पहले यह शाजापुर का हिस्सा हुआ करता था. जिले का पश्चिमी भाग आगर पठार है, जिसमें कई प्रमुख क्षेत्र आते हैं. इसका क्षेत्रफल 2,785 वर्ग किलोमीटर है.
लाल मिट्टी से आगर मालवा की पहचान
आगर मालवा की पहचान यहां की लाल मिट्टी से है. इसके लिए यह देशभर में काफी फेमस है. आगर की स्थापना 10वीं सदी में राजा आगरीय भील ने की थी. परमार काल में भी यह क्षेत्र काफी प्रमुख रहा. यह जिला उज्जैन संभाग में आता है. उज्जैन शहर से इसकी दूरी 65 किलोमीटर है. इसकी सीमा राजस्थान से मिलती है. आगर जिले में चार तहसील हैं. बडौद, आगर, सुसनेर और नलखेड़ा.
आजादी के बाद मध्य भारत का प्रमुख स्थान था आगर मालवा
जब सिंधिया वंश का शासन था, तब भी आगर मालवा का प्रमुख स्थान था. उस दौर के कई महल और इमारतें आज भी हैं. इनमें से कुछ का इस्तेमाल शहर की अदालत और सरकारी कार्यालयों के तौर पर किया जाता है. इस क्षेत्र की सबसे बड़ी खासियत अनुकूल मौसम और पानी की उपलब्धता है. इसीलिए भारत की आजादी के समय यह एक छावनी क्षेत्र था. आजादी में इस क्षेत्र का काफी योगदान रहा है.
बगुलामुखी माता मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल
आगर मालवा में वैसे तो कई पर्यटन स्थल हैं लेकिन बगुलामुखी माता मंदिर (नलखेड़ा) सबसे प्रमुख है. इस मंदिर को लेकर लोगों की अटूट आस्था है. इसके अलावा बैजनाथ महादेव मंदिर, सोमेश्वर महादेव मंदिर, मोतीसागर तालाब, केवड़ा स्वामी भैरवनाथ मंदिर (अगरी), मां तुलजा, भवानी गुफा वरदा, मंशापूर्ण गणपति चिपिया गौशाला और बालाजी पिपल्या खेड़ा जिले में पर्यटक स्थल हैं. सभी पर्यटन स्थल जिला मुख्यालय से 75KM के दायरे में ही हैं.
आगर मालवा की खासियत
- जनसंख्या- 5.71 लाख
- गांव- 513
- भाषा- हिंदी,मालवी
- आगर-मालवा का प्रमुख व्यंजन- दाल-बाफले
- प्रमुख फसल- धनिया और संतरा