मुक्तिबोध और पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की जन्म भूमि और कर्मभूमि राजनांदगांव पहले नंदग्राम के नाम से जाना जाता था. छत्तीसगढ़ की संस्कार राजधानी या संस्कारधानी के रूप में विख्यात राजनांदगाव का नाम भगवान कृष्ण, बाबा नंद के वंशजों पर ‘नंदग्राम' रखा गया था जो जल्दी ही राजनांदगांव में बदल गया. राजनांदगांव जिला जनवरी 1973 में तात्कालिक दुर्ग से अलग करके बनाया गया. 1998 में इसके कुछ हिस्सें को अलग कर कबीरधाम जिला बना दिया गया.
राजा वीरसेन ने बनवाया था मां बम्लेश्वरी मंदिर
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी मंदिर है. 16 सौ फुट ऊंची पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. मान्यता है कि दो हजार साल पहले कामाख्या नगरी (वर्तमान डोंगरगढ़) के राजा वीरसेन ने संतान के लिए मां दुर्गा की उपासना की थी. संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने मां बगलामुखी के मंदिर का निर्माण करवाया, जो अब मां बम्लेश्वरी देवी के मंदिर के नाम से जाना जाता है.
हॉकी को बढ़ावा देने राजाओं ने बनावाया था हॉकी स्टेडियम
राजनांदगांव के बैरागी राजाओं ने हॉकी के खेल को प्रोत्साहन देने के लिए राजनांदगांव में एक हॉकी स्टेडियम का निर्माण करवाया. यहां के राजा सर्वेश्वर दास खुद भी हॉकी के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे. राजनांदगांव में आज भी हॉकी का अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम है, जहां हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ने भी हॉकी खेली थी. देसी रियासतों के भारत में विलय होने पर अधिकतर राजाओं ने रियासत के राजमहल और संपत्तियों को अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति बना लिया लेकिन राजनांदगांव के राजाओं ने राजमहल को कॉलेज में बदलने के लिए सरकार को दान में दे दिया.
आइए एक नजर डालते हैं राजनांदगांव से जुड़ी कुछ अहम जानकारियों पर-
- यहां धान मुख्य फसल है इसके अलावा मक्का, कोदो, बाजरा, अरहर मूंगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी उगाया जाता है.
- राजनांदगांव में एक नगर निगम राजनांदगांव दो नगर पालिका परिषद खैरागढ़ और डोंगरगढ़ हैं.
- जिले में कुल 1649 गांव
- 6 विधानसभा क्षेत्र- खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनांदगांव,
डोंगरगांव, मानपुर-मोहला और खुज्जी - यहां की कुल जनयंख्या 163122 है और साक्षरता दर 78.46 है.