
झाबुआ: मध्य प्रदेश में झाबुआ जिले की एक अदालत ने बुधवार को प्रलोभन देकर आदिवासी समुदाय के सदस्यों के धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में एक ईसाई पुजारी और दो अन्य को दोषी करार देते हुए दो साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई. जिला न्यायाधीश लखनलाल गर्ग ने फादर जामसिंह, पादरी अनसिंह और उनके सहायक मंगू पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
सरकारी वकील मानसिंह भूरिया ने कहा कि तीनों को मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा पांच के तहत दोषी ठहराया गया. यह धारा गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, किसी अन्य कपटपूर्ण साधन, प्रलोभन या शादी के वादे के जरिए एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी रूपांतरण (या धर्म परिवर्तन का प्रयास) को प्रतिबंधित करती है.
शिकायतकर्ता टेटिया बारिया (26) के अनुसार फादर जामसिंह ने उसे और सुरती बाई नामक महिला को 26 दिसंबर, 2021 को बिसौली गांव में प्रार्थना सभा के लिए बुलाया और उन पर लोटे से पानी डाला और उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए कहा. बारिया ने कहा कि ईसाई पुजारी ने ऐसा करने पर उनके परिवारों को मुफ्त शिक्षा और चिकित्सा उपचार की पेशकश की. लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और वहां से चले गए.
बारिया द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई. उन्होंने कहा कि अदालत ने सबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर तीनों को (गैरकानूनी तरीके से धर्मांतरण के प्रयास के लिए) दोषी ठहराया. अभियोजक ने कहा कि अदालत ने उन्हें 50 हजार रुपये का जुर्माना भरने के बाद अपील दायर करने के लिए जमानत भी दे दी.
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