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This Article is From Aug 24, 2023

निगमायुक्त के बढ़े वित्तीय अधिकार, 20 करोड़ तक के कार्य मंजूर कर सकेगी एमआइसी

मध्य प्रदेश के नगरिया निकाय की निर्वाचित मेयर इन काउंसिल (एमआइसी) अब 20 करोड़ रुपये तक के कार्यो की स्वीकृति दे सकती है. महापौर अब 10 करोड़ तक के और निगमायुक्त पांच करोड़ रुपये तक के विकास व निर्माण कार्यों की स्वीकृति दे सकेंगे. 

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निगमायुक्त के बढ़े वित्तीय अधिकार, 20 करोड़ तक के कार्य मंजूर कर सकेगी एमआइसी

एमआइसी यानि मेयर इन काउंसिल अब 20 करोड़ रुपये तक के कार्य मंजूर कर सकेगी. इस फैसले के साथ महापौर और निगमायुक्त के वित्तीय अधिकार भी बढ़ा दिए गए हैं. जानकारी के मुताबिक, महापौर अब 10 करोड़ तक के और निगमायुक्त पांच करोड़ रुपये तक के विकास व निर्माण कार्यों को मंजूरी दे सकेंगे. इसी तरह नगर निगम परिषद अब 20 करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्तावों को स्वीकृति दे सकेगी. इस फैसला को काफी ऐतिहासिक बताया जा रहा है.

पहले इतने दिए गए थे अधिकार

दरअसल, पूर्व में नगर परिषद को 20 करोड़ तक के एमआइसी को 10 करोड़, महापौर को पांच करोड़ और निगमायुक्त को दो करोड़ रुपये तक के वित्तीय अधिकार दिए गए थे. वित्तीय अधिकार बढ़ने से अब शहर विकास के कार्य सुचारू रूप से हो पाएंगे वहीं जबलपुर भी महानगर बनने में तेजी से अग्रसर होगा.

मध्य प्रदेश के नगरिया निकाय की निर्वाचित मेयर इन काउंसिल (एमआइसी) अब 20 करोड़ रुपये तक के कार्यो की स्वीकृति दे सकती है. महापौर अब 10 करोड़ तक के और निगमायुक्त पांच करोड़ रुपये तक के विकास व निर्माण कार्यों की स्वीकृति दे सकेंगे. चुनावी समय में नगरीय निकायों के महापौर को ज्यादा मजबूत करने के लिए 22 अगस्त 2023 को राजपत्र में वित्तीय अधिकारों में संशोधन की अधिसूचना जारी की गई है. 

राजपत्र में अधिसूचना जारी 

मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशित संशोधन अधिसूचना में बताया  गया है कि मेयर इन काउंसिल (एमआइसी)  अब 20 करोड़ रुपये तक के कार्यों को स्वीकृती दे सकती है यह अधिकार महापौर 10 करोड़ और निगमायुक्त दो करोड़ रुपये के तक कार्य स्वीकृत करने के होंगे अब 20 करोड़ रुपये से अधिक के काम ही  निगम की सदन में स्वीकृति के लिए भेजे जाएंगे.
अभी सदन की अनुसंशा के कारण  कई विकास कार्य और टेंडर स्वीकृत नहीं होते थे जिस से काम में बाधा आती थी . 
इस संशोधन के पूर्व में एमआइसी को 10 करोड़, महापौर को पांच करोड़ और निगमायुक्त को दो करोड़ रुपये तक के वित्तीय अधिकार दिए गए थे. वित्तीय अधिकार बढ़ने से अब जबलपुर के  विकास के कार्य सुचारू रूप से हो पाएंगे 

आठ वर्ष बाद पूरी हुई मांग  

8 सालों से महापौर सरकार से संशोधन की मांग कर रहे थे, महापौर, निगमायुक्त, एमआइसी सहित निगम परिषद के वित्तीय अधिकारों में आठ वर्ष बाद संशोधन किया गया है. इसके पूर्व वर्ष महापौर को पांच करोड़ के वित्तीय अधिकार दिए गए थे. इस नए संशोधन के बाद छोटे-छोटे कार्यों के लिए अधिकारियों को सदन की स्वीकृति का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अब  नगर निगम परिषद की बैठकों में प्रस्तावों की भरमार नहीं होगी.

निगम अफसरों को बार-बार मंजूरी के लिए सदन का इंतजार नहीं करना होगा 

अब जलकार्य एवं सीवरेज, लोक निर्माण तथा उद्यान, राजस्व, वित्त एवं लेखा, विद्युत एवं यांत्रिकी, स्वच्छता एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, यातायात व परिवहन, योजना एवं आईटी जैसे विभागीय कार्यों में गति आएगी एवं वित्तीय अधिकार बढ़ने से छोटे ब्रिज, सड़कें, स्ट्रीट लाइट, सीवेज सिस्टम आदि के काम में तेजी से आ सकेगी. इनकी मंजूरी अब आयुक्त दे सकेगा , 
शिवराज सरकार का ऐतिहासिक फैसला: 

भारतीय जनता पार्टी नगर अध्यक्ष एवं पूर्व महापौर प्रभात साहू ने कहा कि यह शिवराज सरकार द्वारा किया गया ऐतिहासिक फैसला है,  इससे अब विकास कार्यों को गति मिलेगी और जल्द ही निर्णय किया जा सकेंगे हम आभारी हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जिन्होंने यह फैसला नगर विकास के लिए या फैसला सभी नगर निगम के लिए हितकर होगा

जनप्रतिनिधियों को किया गया कमजोर 

महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु  जबलपुर में काँग्रेस के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु ने मध्य प्रदेश सरकार के नए संशोधन को जनप्रतिनिधियों के अधिकारों को कमजोर करने बताया उनका कहना है कि अब  सरकार ने प्रशासनिक अधिकारियों को ज्यादा ताकत दे दी  है बहुत सारे काम अब जनप्रतिनिधियों के सामने लाए ही नहीं जाएंगे बल्कि प्रशासनिक अधिकारी ही उन पर निर्णय ले लेंगे,  नगर निगम में बहुसंख्यक कार्य ऐसे ही होते हैं 2 करोड़ से कम के होते है जो अब आयुक्त ही कर देंगे .

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