![सरकार के खिलाफ किसानों का क्यों फूटा गुस्सा? दूसरे आंदोलन की क्या है असली वजह? जानें... सरकार के खिलाफ किसानों का क्यों फूटा गुस्सा? दूसरे आंदोलन की क्या है असली वजह? जानें...](https://c.ndtvimg.com/2024-02/l354eb5g_farmers-protest-ani_640x480_13_February_24.jpg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=773,height=435)
FarmersProtest2024: केंद्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत (Government and Farmers Meeting) असफल होने के बाद किसानों ने 'दिल्ली कूच' (Delhi Kooch) का ऐलान कर दिया है. जिसके बाद पंजाब (Punjab) के किसान दिल्ली (Delhi) की तरफ लगातार बढ़ रहे हैं. वहीं किसानों (Farmers) को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने खास इंतजाम कर रखे हैं. दिल्ली में किसानों का प्रवेश रोकने के लिए पुलिस ने सिंधु, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर को सील कर दिया है. इसके साथ ही सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में धारा 144 भी लागू कर दी गई है.
पिछले दो साल के अंदर किसानों के दूसरे प्रदर्शन के चलते सवाल उठने लगे हैं कि जब सरकार ने 2020-21 के आंदोलन के दौरान तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था, इसके बावजूद भी किसान फिर से आंदोलन पर उतारू क्यों हैं? आखिर इसके पीछे की वजह क्या है और किसानों की सरकार से क्या मांग है? आपको विस्तार से बताते हैं.
दूसरे किसान आंदोलन की असली वजह
पिछले किसान आंदोलन के दौरान सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने के साथ-साथ किसानों से कई वादे किए थे. सरकार ने उस समय फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी देने पर गौर करने के लिए कमेटी बनाने का वादा किया था. हालांकि, सरकार ने इस घोषणा के करीब आठ महीने बाद एमएसपी पर कानून बनाने पर गौर करने के लिए एक कमेटी का गठन किया. पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में इस 26 सदस्यीय समिति में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों, कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अर्थशास्त्रियों के अलावा केंद्र एवं राज्य सरकारों के अधिकारियों को शामिल किया गया था. इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा के तीन प्रतिनिधियों को शामिल किए जाने की बात कही गई थी.
इस सब के बावजूद किसान संगठनों का आरोप है कि इतने दिनों के बाद भी सरकार ने वादे पूरे नहीं किए हैं, सरकार केवल समय बर्बाद कर रही है. उन्हें मांगों को पूरा करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में संदेह है. जिसके बाद किसान संगठनों ने दिल्ली कूच का ऐलान कर दिया. इस आंदोलन में 200 से ज्यादा किसान यूनियन शामिल होंगे.
क्या हैं किसानों की मांगें?
आंदोलन में शामिल हो रहे किसान और संगठनों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द एमएसपी पर कानून बनाए और इसे लागू करे. इसके अलावा किसानों ने डॉ स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, किसान कर्ज माफी, बिजली कानून 2020 को रद्द करने, पिछले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय देने की मांग की है.
सरकार और किसानों के बीच हुई बैठक रही बेनतीजा
चंडीगढ़ में सोमवार को केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही. सरकार की तरफ से इस बैठक में केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा शामिल हुए. बताया जा रहा कि बैठक के दौरान बिजली कानून 2020 को रद्द करने, लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को मुआवजा देने और किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर सहमति बनी, लेकिन किसानों की मुख्य मांगे जैसे-एमएसपी पर कानून, किसान कर्ज माफी और डॉ स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों पर सहमति नहीं बन सकी. जिसके बाद किसानों ने आंदोलन जारी रखने और 'दिल्ली कूच' का आह्वान किया.
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