Terminalia Tomentosa Water: प्रकृति में हजारों राज छुपे हुए हैं. ज्ञान और विज्ञान के विकास के साथ ही हर दिन नित नए राज से पर्दे उठ रहे हैं. लेकिन कुछ जानकारियां ऐसी है, जिसका इस्तेमाल सदियों से आदिवासी समाज करते आ रहे हैं, लेकिन बाकी दुनिया इससे आज भी अनजान हैं. ऐसा ही एक मामला है, गर्मियों के दिनों में जल संकट के वक्त पेड़ों से पानी हासिल करने की कला. जी हां सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जहां एक पेड़ से पानी की धार को निकलते देखा जा सकता है.
दरअसल, ये भारतीय लॉरेल (टर्मिनलिया टोमेंटोसा) का पेड़ है. इस पेड़ की खासियत ये है कि ये सर्दी के दिनों में अपने तने में पानी को स्टोर कर लेता है, ताकि गर्मी के दिनों में पानी की कमी होने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके. इस मामले में आन्ध्र प्रदेश के गोदावरी क्षेत्र में पापिकोंडा पहाड़ी श्रृंखला में रहने वाले जनजातीय समूह कोंडा रेड्डी जनजाति का स्वदेशी ज्ञान चौंकाने वाला है. दरअसल वन विभाग को इसी जनजाति के लोगों ने बताया कि वे लोक सदियों के गर्मी के दिनों में जल संकट के वक्त लॉरेल पेड़ से पीने के लिए पानी हासिल करते हैं.
During parched summers the Indian Laurel tree Terminalia tomentosa stores water. The water has strong smell and tastes sour.
— IFS Narentheran (@NarentheranGG) March 30, 2024
Amazing Adaptation in Indian Forests.
Knowledge courtesy : Konda Reddy Tribes of AP. pic.twitter.com/szLY75UTjK
आंध्र प्रदेश के जंगलों में पाए जाते हैं ये पेड़
इसकी पुष्टि के लिए शनिवार को आंध्र प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों ने अल्लूरी सीताराम राजू जिले के रम्पा एजेंसी में पापिकोंडा राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले लॉरेल पेड़ (टर्मिनलिया टोमेंटोसा) की छाल को काटा, ताकि इसकी सच्चाई का पता लगाया जा सके कि पेड़ वास्तव में पानी जमा करता है, खासकर गर्मियों में, जैसा कि जनजाति द्वारा दावा किया गया है, तो छाल को काटते ही उससे पानी निकल आया.
अधिकारियों ने की पुष्टि
रामपछोड़ावरम प्रभागीय वन अधिकारी जी.जी. नरेन थेरन ने राष्ट्रीय उद्यान की अपनी नियमित यात्रा के हिस्से के रूप में प्रयोग करने वाली इस टीम का नेतृत्व किया. इसकी जानकारी देते हुए वन अधिकारी नरेंद्रन ने बताया कि सूखी गर्मियों के दौरान, भारतीय लॉरेल पेड़ में पानी जमा होता है, जिसमें तेज़ गंध होती है और स्वाद खट्टा होता है. उन्होंने कहा कि भारतीय जंगलों के पेड़ों में यह एक अद्भुत अनुकूलन को दर्शाता है.
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बहुत महंगी होती है लॉरेल की लकड़ी
इंडियन सिल्वर ओक के रूप में जानी जाने वाली इंडियन लॉरेल की लकड़ी का व्यावसायिक मूल्य बहुत अधिक है. हालांकि, वन अधिकारियों ने प्रजातियों के संरक्षण के उपाय के रूप में पेड़ के सटीक स्थान का खुलासा नहीं किया.