Tabla maestro Zakir Hussain Passes Away: तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) का निधन हो गया है. हुसैन 73 साल की उम्र में सैन फ्रांसिस्को (San Francisco) में आखिरी सांस ली. उनके परिवार ने इस खबर की पुष्टि की है. उस्ताद जाकिर हुसैन काफी दिनों से दिल से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे थे और उनका इलाज अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को चल रहा था.
73 साल के उम्र में जाकिर हुसैन का निधन
परिवार के मुताबिक, इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के कारण होने वाली जटिलताओं की वजह से जाकिर हुसैन का सोमवार, 16 दिसंबर की तड़के निधन हो गया. वो 73 साल के थे. जाकिर हुसैन पिछले दो हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थे. हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था.
पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से हो चुके सम्मानित
भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक जाकिर हुसैन को साल 1988 में पद्म श्री से नवाजा गया था. वहीं साल 2002 में पद्म भूषण और साल 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. जाकिर हुसैन को अपने करियर में पांच ग्रैमी अवॉर्ड मिले हैं, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी अवार्ड्स में मिले थे.
बराक ओबामा ने जाकिर हुसैन को व्हाइट हाउस में किया था आमंत्रित
तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च, 1951 को मुंबई में हुआ था. उनके पिता महान तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी थे. मां का नाम बीवी बेगम था. जाकिर हुसैन मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से पढ़ाई की थी. इसके बाद उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया.
11 साल की उम्र में पहली बार ऑडियन्स के सामने किया था परफॉर्म
बता दें कि उस्ताद जाकिर हुसैन को तबले का जादू विरासत में मिला था. उनके पिता अल्लाह रक्खा कुरैशी का भी मौसिकी की दुनिया में बड़ा नाम था. तबले पर जुगलबंदी करने का शौक हुसैन को पिता को देखकर लगा. जिसके बाद कुरैशी ने बेटे को बले की बारीकियां सिखाई. वहीं जाकिर हुसैन 11 साल की उम्र में पहली बार अमेरिका में ऑडियन्स के सामने परफॉर्म किया था. इसके बाद उस्ताद का पहला एलबम साल 1973 में आय, जिसे लोगों ने खूब सराहा था.उस समय 'लिविंग इन द मटेरियल वर्ल्ड' नाम के एलबम ने काफी धूम मचा दी थी.
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