
163rd Birth Anniversary of Rabindranath Tagore: महान लेखक, समाज सुधारक, देशभक्त और विश्व विख्यात कवि रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की जयंती (Rabindranath Tagore Jayanti 2024) पर उन्हें पूरे देश व दुनिया में श्रद्धांजलि दी जा रही है. वे पहले भारतीय थे, जिन्हें 1913 में 'गीतांजलि' (Gitanjali) के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize in Literature) से सम्मानित किया गया था. इन्हें रवीन्द्रनाथ ठाकुर, रवींद्रनाथ टैगोर, 'गुरुदेव' (Gurudev), 'कबिगुरू' (Kabiguru) और 'बिश्वकवि' (Biswakabi) के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने ही महात्मा गांधी को ‘महात्मा' की उपाधि दी थी. वर्ष 1929 तथा वर्ष 1937 में उन्होंने विश्व धर्म संसद (World Parliament for Religions) में भाषण दिया था. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने 2000 से अधिक गीतों की रचना की है और उनके गीतों एवं संगीत को 'रबींद्र संगीत' (Rabindra Sangeet) कहा जाता है. आइए गुरुदेव की जयंती पर उनके जीवन से जुड़े कुछ पहलुओं को जानते हैं.

Rabindranath Tagore Jayanti: रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन
Photo Credit: Ajay Kumar Patel
पहले सुनिए खुद गुरुदेव की आवाज में राष्ट्रगान / National Anthem of India
A piece of history to cherish! On is birth anniversary, watch Gurudev #RabindranathTagore singing 'Jana Gana Mana'🇮🇳, our national anthem #GoldenFrames #AmritMahotsav pic.twitter.com/dbHD2hOOTR
— Ministry of Culture (@MinOfCultureGoI) May 7, 2024
रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय / Rabindranath Tagore Biography
रवींद्रनाथ टैगोर जन्म 7 मई, 1861 को कलकत्ता में हुआ था. वह एक संपन्न परिवार में पैदा हुए थे. बंगाली कैलेंडर के अनुसार, टैगोर जयंती बोइशाख (Boishakh) महीने के 25वें दिन मनाई जाती है. वह कम उम्र में ही साहित्य, कला, संगीत और नृत्य में पारंगत हो गए थे. उन्होंने भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रीय गीत भी लिखे. उन्होंने कला पर अपनी छाप छोड़ी और इसकी प्रथाओं को बदलने और आधुनिकतावाद की शुरुआत करने में भूमिका निभाई. रबींद्रनाथ टैगोर को उनकी काव्यरचना गीतांजलि के लिये वर्ष 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था. यह पुरस्कार जीतने वाले वह पहले गैर-यूरोपीय थे.

Rabindranath Tagore Jayanti: रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन
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Rabindranath Tagore Jayanti: रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन
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तस्वीरों में टैगोर की जीवन यात्रा / Rabindranath Tagore Life in Pictures
Remembering Rabindranath Tagore: The Bard of Bengal on his birth anniversary today.
— NFDC India (@nfdcindia) May 7, 2024
He was a poet, writer, composer, and painter who reshaped Bengali art & literature. His compositions became national anthems for India & Bangladesh.#rabindranathtagore #legend #birthanniversary pic.twitter.com/MoaHd3TKqO
RABINDRANATH TAGORE JAYANTI 2024: HISTORY
अपनी साहित्यिक उपलब्धियों के अलावा वे एक दार्शनिक और शिक्षाविद भी थे, जिन्होंने वर्ष 1921 में विश्व-भारती विश्वविद्यालय (Vishwa-Bharati University) की स्थापना की जिसने पारंपरिक शिक्षा को चुनौती दी थी. एक चित्रकार के रूप में टैगोर का उदय 1928 में शुरू हुआ जब वह 67 वर्ष के थे. उनके लिए यह उनकी काव्य चेतना का विस्तार था. वर्ष 1928 और 1940 के बीचरवींद्रनाथ टैगोर ने 2,000 से अधिक चित्र बनाए. उन्होंने अपने चित्रों को कभी कोई शीर्षक नहीं दिया. रवींद्रनाथ टैगोर के काम को पहली बार 1930 में पेरिस और फिर पूरे यूरोप और अमेरिका में प्रदर्शित किया गया था. इसके बाद उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली. उनकी रचनाएं कल्पना, लय और जीवन शक्ति का एक बड़ा भाव दर्शाती हैं.

Rabindranath Tagore Jayanti: रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन
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Rabindranath Tagore Jayanti 2024: रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन
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उनकी उल्लेखनीय कृतियों में गीतांजलि, घारे-बैर, गोरा, मानसी, बालका, सोनार तोरी आदि शामिल हैं, साथ ही उन्हें उनके गीत 'एकला चलो रे' (Ekla Chalo Re) के लिये भी याद किया जाता है. उन्होंने अपनी पहली कविताएंँ ‘भानुसिम्हा' (Bhanusimha) उपनाम से 16 वर्ष की आयु में प्रकाशित की थीं. वर्ष 1915 में उन्हें ब्रिटिश किंग जॉर्ज पंचम (British King George V) द्वारा नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया. लेकिन वर्ष 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) के बाद उन्होंने नाइटहुड की उपाधि का त्याग कर दिया. 7 अगस्त, 1941 को कलकत्ता में उनका निधन हो गया.

Rabindranath Tagore Jayanti: रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन
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रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन / Rabindranath Tagore Quotes
* "उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ़ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है."
* "केवल खड़े होकर और समुद्र को निहारने से आप समुद्र को पार नहीं कर सकते."
* "खुश रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल रहना बहुत कठिन है."
* "एक बच्चे को अपनी शिक्षा तक सीमित न रखें, क्योंकि वह किसी अन्य समय में पैदा हुआ था."
* "तितली महीनों को नहीं बल्कि क्षणों को गिनती है, और उसके पास सीमित समय होता है."
* “मैं एक आशावादी का अपना संस्करण बन गया हूँ. अगर मैं इसे एक दरवाज़े से नहीं बना सकता, तो मैं दूसरे दरवाज़े से जाऊंगा– या मैं एक दरवाज़ा बना दूँगा. वर्तमान कितना भी अंधकारमय क्यों न हो, कुछ बहुत अच्छा आएगा.''
* "जब मैं चला जाऊं तो मेरे विचार तुम्हारे पास आएं, जैसे तारों से भरी खामोशी के किनारे सूर्यास्त की किरण."
* "तथ्य अनेक हैं, पर सत्य एक है."

Rabindranath Tagore Jayanti: रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन
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रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं / Rabindranath Tagore Poems

Rabindranath Tagore Jayanti: रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं
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चुप-चुप रहना सखी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
चुप-चुप रहना सखी, चुप-चुप ही रहना,
काँटा वो प्रेम का-छाती में बींध उसे रखना
तुमको है मिली सुधा, मिटी नहीं अब तक
उसकी क्षुधा, भर दोगी उसमें क्या विष !
जलन अरे जिसकी सब बेधेगी मर्म,
उसे खींच बाहर क्यों रखना !!
मूल बांगला से अनुवाद : प्रयाग शुक्ल

Rabindranath Tagore Jayanti: रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं
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आया था चुनने को फूल यहाँ वन में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
आया मैं चुनने को फूल यहाँ वन में
जाने था क्या मेरे मन में
यह तो, पर नहीं, फूल चुनना
जानूँ ना मन ने क्या शुरू किया बुनना
जल मेरी आँखों से छलका,
उमड़ उठा कुछ तो इस मन में.
मूल बांगला से अनुवाद : प्रयाग शुक्ल

Rabindranath Tagore Jayanti: रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं
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हो चित्त जहाँ भय-शून्य, माथ हो उन्नत / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
हो चित्त जहाँ भय-शून्य, माथ हो उन्नत
हो ज्ञान जहाँ पर मुक्त, खुला यह जग हो
घर की दीवारें बने न कोई कारा
हो जहाँ सत्य ही स्रोत सभी शब्दों का
हो लगन ठीक से ही सब कुछ करने की
हों नहीं रूढ़ियाँ रचती कोई मरुथल
पाये न सूखने इस विवेक की धारा
हो सदा विचारों ,कर्मों की गतो फलती
बातें हों सारी सोची और विचारी
हे पिता मुक्त वह स्वर्ग रचाओ हममें
बस उसी स्वर्ग में जागे देश हमारा.

Rabindranath Tagore Jayanti: रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं
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करता जो प्रीत / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
दिन पर दिन चले गए,पथ के किनारे!
गीतों पर गीत,अरे, रहता पसारे!!
बीतती नहीं बेला, सुर मैं उठाता!
जोड़-जोड़ सपनों से उनको मैं गाता!!
दिन पर दिन जाते मैं बैठा एकाकी!
जोह रहा बाट, अभी मिलना तो बाकी!!
चाहो क्या,रुकूँ नहीं, रहूँ सदा गाता!
करता जो प्रीत, अरे, व्यथा वही पाता!!
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