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CJI Justice BR Gavai: देश के 52वें सीजेआई बने जस्टिस बीआर गवई; ऐसा रहा सफर, जानिए इनके प्रमुख फैसले

Justice BR Gavai: न्यायमूर्ति बीआर गवई ने उलानबटार (मंगोलिया), न्यूयॉर्क (अमेरिका), कार्डिफ़ (यूके) और नैरोबी (केन्या) जैसे शहरों में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय सहित विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में संवैधानिक और पर्यावरणीय विषयों पर व्याख्यान भी दिए हैं. वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे.

CJI Justice BR Gavai: देश के 52वें सीजेआई बने जस्टिस बीआर गवई; ऐसा रहा सफर, जानिए इनके प्रमुख फैसले
Justice BR Gavai: कौन हैं देश ने नए चीफ जस्टिस

Justice BR Gavai New CJI: जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) ने बुधवार को भारत के 52वें सीजीआई (52th CJI) के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई. सीजीआई संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो गया था. उनका कार्यकाल सिर्फ सात महीने का है. न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई के अगले मुख्य न्यायाधीश होने की जानकारी केंद्रीय विधि एवं न्याय तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर दी थी. गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं. उनसे पहले जस्टिस के. जी. बालाकृष्णन इस पद पर आसीन रहे थे. जस्टिस बालाकृष्णन साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे.

देश के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस का ऐसा है जीवन Justice BR Gavai Biography 

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ. उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत की दुनिया में कदम रखा और शुरुआत में दिवंगत राजा एस. भोंसले, जो पूर्व महाधिवक्ता और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं, के साथ कार्य किया.

जस्टिस गवई आर्किटेक्ट बनना चाहते थे. लेकिन पिता चाहते थे कि वह उनका वकील बनने का सपना पूरा करें. जिसके बाद उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया. वहां से लॉ की डिग्री ली और 16 मार्च, 1985 को वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की.

वर्ष 1987 से 1990 तक उन्होंने बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्वतंत्र वकालत की, और इसके बाद मुख्य रूप से नागपुर पीठ के समक्ष विभिन्न मामलों की पैरवी करते रहे.

जस्टिस बीआर गवई ने एक बार कहा था कि मैं बौद्ध धर्म का पालन करता हूं. मेरा सौभाग्य है कि बुद्ध पूर्णिमा के तत्काल बाद ही मैं चीफ जस्टिस पद की शपथ लूंगा. बाबा साहेब आंबेडकर के साथ ही मेरे पिता ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया था. मैं देश का पहला बौद्ध चीफ जस्टिस बनूंगा.

उन्होंने आगे कहा कि मैं सभी धर्मों में विश्वास रखता हूं. मैं मंदिर, दरगाह, जैन मंदिर, गुरुद्वारा सभी जगह जाता हूं. जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि लोग कुछ भी कहें, लेकिन संविधान ही सुप्रीम है. केशवानंद भारती के 13 जजों के बेंच के फैसले में ये कहा गया है.

संवैधानिक और प्रशासनिक कानून उनके प्रमुख क्षेत्र रहे हैं. वे नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील रहे हैं. इसके अलावा एसआईसीओएम, डीसीवीएल जैसे स्वायत्त निकायों और विदर्भ क्षेत्र की नगर परिषदों के लिए भी वे नियमित रूप से अदालत में पेश होते रहे. अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक वे नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के तौर पर नियुक्त रहे. बाद में, 17 जनवरी 2000 को उन्हें सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया.

14 नवंबर 2003 को वे बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 12 नवंबर 2005 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए. उन्होंने मुंबई की मुख्य पीठ के साथ-साथ नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में भी विभिन्न प्रकार के मामलों की अध्यक्षता की. 24 मई 2019 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया.

अपने छह वर्षों के कार्यकाल में न्यायमूर्ति गवई करीब 700 पीठों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें उन्होंने संविधान, प्रशासनिक, दीवानी, आपराधिक, वाणिज्यिक, पर्यावरण और शिक्षा संबंधी मामलों पर काम किया. उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं, इनमें कई संविधान पीठ के ऐतिहासिक फैसले भी शामिल हैं, जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों की रक्षा से जुड़े हैं.

न्यायमूर्ति गवई ने उलानबटार (मंगोलिया), न्यूयॉर्क (अमेरिका), कार्डिफ़ (यूके) और नैरोबी (केन्या) जैसे शहरों में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय सहित विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में संवैधानिक और पर्यावरणीय विषयों पर व्याख्यान भी दिए हैं.

कब रिटायर होंगे? Justice BR Gavai Retirement Date

न्यायमूर्ति गवई 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे. जस्टिस बीआर गवई ने अनौपचारिक बातचीत में साफ कर दिया कि वह रिटायरमेंट के बाद कोई राजनीतिक पद नहीं लेंगे. उनका कहना है कि "जब एक बार आप सीजेआई बन जाते हैं तो रिटायरमेंट के बाद उन पदों को स्वीकार नहीं करना चाहिए, जो प्रोटोकॉल में सीजेआई के पद से नीचे हो, गवर्नर का पद भी सीजेआई से नीचे आता है."

रिटायर होने के बाद राजनीति में जाने को लेकर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि उनका राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं है. हालांकि, उनके पिता महाराष्ट्र के एक बड़े नेता थे. बिहार सहित कई राज्यों के गवर्नर रहे थे. लेकिन, मुझे राजनीति में नहीं जाना है. उस समय की राजनीति की बात कुछ और थी.

सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्ति की घोषणा के सवाल पर जस्टिस बीआर गवई ने अनौपचारिक बातचीत में कहा था कि उच्च न्यायालय के जजों को सुप्रीम कोर्ट के जजों की तरह संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा करनी चाहिए.

प्रमुख फैसले Justice BR Gavai Important Judgment

जस्टिस बालाकृष्णन साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे. 2016 के डिमॉनेटाइजेशन के फैसले को बरकरार रखना और चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करना उनके प्रमुख फैसलों में शामिल है.

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