
NDTV Ground Report On Missing Couple Case : मध्य प्रदेश समेत देशभर में इंदौर के लापता कपल का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. पिछले कई दिनों से यह केस मीडिया की सुर्खियों में छाया हुआ है. मेघालय के खूबसूरत लेकिन दुर्गम इलाकों में इंदौर का यह युवा जोड़ा कैसे लापता हो गया? यह पूरा घटनाक्रम एक पहेली बना हुआ है. आखिर कैसे रहस्यमयी हालातों में ये दोनों लापता हुए. वहीं, रविवार को इस मामले में नया अपडेट सामने आया है. NDTV ने ग्राउंड पर जाकर पड़ताल की है.
इस स्पेशल रिपोर्ट में आज हम आपको बताएंगे, वो 12 घंटे, जो इस जोड़े ने चेरापूंजी के पास नोंगरिआत गांव में बिताए... और जिनकी जानकारी अब गांववालों और गाइड्स ने मेघालय पुलिस को दी है. सीढ़ियों का वो ट्रेक, आखिरी रात की बातचीत... और वो सुबह जब सोनम और राजा आख़िरी बार देखे गए ..
22 मई की दोपहर…शिलॉन्ग के बालाजी गेस्ट हाउस से निकलने के बाद दोनों ने किराए की स्कूटी ली और सोहरा के होटल पहुंचें. वहां से निकलकर उन्होंने ऐसा रास्ता पकड़ लिया जो अब रहस्य बन चुका है.
दोपहर 12:45 बजे… होटल में कोई रूम नहीं था, तो बैग होटल में रखकर, दोनों निकल पड़े एक अनजान ट्रेक की ओर…
मावलाखियात के इस पार्किंग में स्कूटी अब भी खड़ी है. यहीं से शुरू होता है 3000 सीढ़ियों का ट्रेक जो नोंगरिआत तक 3 घंटे में ले जाता है, जो गाइड उन्हें वहां ले गया उसने कुछ अहम जानकारी दी.
'हम उन्हें शिपारा होमस्टे तक छोड़ आए'
भाकुपार वानशाई (लोकल गाइड) ने बताया कि उन्होंने हमें 22 मई को फोन किया था, देर हो गई थी लगभग 3-3.30 बजे लेकिन मैंने मना नहीं किया. हम उन्हें शिपारा होमस्टे तक छोड़ आए. उनके साथ दूसरे गाइड अल्बर्ट भी थे. हमने अगली सुबह दोबारा साथ चलने की पेशकश की, लेकिन उन्होंने कहा कि अब उन्हें गाइड की ज़रूरत नहीं, उन्हें रूट पता है.
वानशाई ने पुलिस को दिये अपने बयान में कहा है कि राजा से ज्यादा रास्ते में सोनम ने उनसे बात की.शाम 5 से 5:30 बजे के बीच वे इस शिपारा होमस्टे में पहुंचे. कमरा देखा. खाना खाया और सो गए.
'नहीं, अब हमें गाइड की ज़रूरत नहीं है'
सियंती सोखलत, (शिपारा होमस्टे) ने बताया कि 2 मई को दो मेहमान हमारे शिपारा होमस्टे में ठहरने आए थे. वे एक गाइड के साथ आए थे. मुझे सटीक समय याद नहीं, लेकिन शायद शाम के 5 बजे के आसपास रहे होंगे. जब वे यहां पहुंचे, तो मैंने उन्हें कमरा दिखाया और उन्होंने ठहरने के लिए हां कर दी. हम बैठ ही रहे थे, तभी उन्होंने कमरे का किराया और गाइड की फीस के बारे में पूछा और ये भी कि भुगतान कब करना होगा. मैंने कहा, “आज ही कर देना होगा. इसके बाद गाइड ने पूछा कि क्या उन्हें अगली सुबह फिर से गाइड की ज़रूरत होगी, तो उन्होंने मना कर दिया. बोले, “नहीं, अब हमें गाइड की ज़रूरत नहीं है.
शायद कपल के लिए ये आख़िरी पड़ाव बन गया
फिर मैंने उनसे पैसे लिए और रजिस्टर पर साइन कराए. उसके बाद उन्हें उनके कमरे तक छोड़ दिया. जब वे कमरे में गए, तो मैं अपने कमरे में आ गई. थोड़ी देर बाद उन्होंने कमरे को लॉक किया और लिविंग रूट ब्रिज की ओर निकल गए. जब वापस लौटे तो अंधेरा हो चुका था. हमने उनके लिए खाना बना लिया था, जो उनके कमरे तक पहुंचा दिया. उन्होंने खाना खाया और सीधे सोने चले गए.डबल डेकर रूट ब्रिज मेघालय का सपना जो शिपारा होमस्टे के बेहद करीब है. लेकिन सोनम और राजा के लिए शायद ये आख़िरी पड़ाव बन गया.
'बहुत जल्दी है, हमें कुछ नहीं खाना'
सियंती सोखलत (शिपारा होमस्टे) कहते हैं कि अगली सुबह मेरी आंख करीब 5:30 बजे खुली. तभी उस जोड़े ने मुझे बताया कि वे जल्दी चेकआउट करेंगे. मैंने पूछा कि क्या उन्हें नाश्ता चाहिए, तो उन्होंने कहा, "बहुत जल्दी है, हमें कुछ नहीं खाना. उन्होंने रात के खाने का भुगतान किया और रजिस्टर में साइन करके चेकआउट कर लिया. मैंने पूछा, "रास्ता याद है न?" तो उन्होंने सीढ़ियों की ओर इशारा करते हुए कहा, "हाँ, हमें याद है. मैंने कहा, "ठीक है, अगर याद है तो ठीक है," और फिर वे निकल गए.NDTV को मिले चश्मदीदों और गांववालों के बयानों से अब पुलिस उन आख़िरी घंटों को जोड़ने की कोशिश कर रही है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है सोनम का सुराग कब मिलेगा?
जब वे आख़िरी बार देखे गए…
23 मई की सुबह… 6 बजे के बाद… वे आख़िरी बार देखे गए. 10 बजे, जब तीन और टूरिस्ट उनके साथ चढ़ाई कर रहे थे. मेघालय पुलिस ने जिन लोगों से पूछताछ की है उनके मुताबिक वो नाम था - गाइड अल्बर्ट का और फिर रघुवंशी परिवार के लिये जैसे वक्त ठहर गया. न कोई फोन न कोई लोकेशन न कोई सुराग. सिर्फ एक स्कूटी और कुछ अधूरी कहानियां.
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