Gaganyaan Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गगनयान मिशन के तहत पहली मानवरहित परीक्षण उड़ान को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. इससे पहले इसका परीक्षण सुबह दो बार टाला गया था. इसरो ने परीक्षण के महज 5 सेकंड पहले कोई तकनीकी खामी पाई थी, जिसके बाद यह लॉन्चिंग रोक दी गई थी. उससे पहले इस मिशन को शनिवार सुबह 8 बजे लॉन्च होने था, लेकिन किसी कारण से इसके समय में बदलाव कर लॉन्चिंग 8 बजकर 30 मिनट के लिए तय किया गया था.
बता दें, इसरो ने गगनयान मिशन में पहली मानवरहित परीक्षण उड़ान (टीवी-डी1 फ्लाइट टेस्ट) के प्रक्षेपण को कुछ समय के लिए रोक दिया था. इसके बाद इसरो ने लॉन्चिंग का समय बदलते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि त्रुटियों की पहचान कर उन्हें ठीक कर लिया गया है और दूसरा प्रक्षेपण आज 10:00 बजे के लिए निर्धारित किया गया है.
Reason for the launch hold is identified and corrected.
— ISRO (@isro) October 21, 2023
The launch is planned at 10:00 Hrs. today.
यह उड़ान परीक्षण वाहन एबॉर्ट मिशन गगनयान मिशन के हिस्से के रूप में क्रू एस्केप सिस्टम के प्रदर्शन को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया गया है.
8 बजे होनी थी लॉन्चिंग
बता दें कि परीक्षण यान D1 मिशन के तहत लांचिंग पहले सुबह आठ बजे होनी थी, फिर इसमें बदलाव कर इसे सुबह साढ़े आठ बजे किया गया और अब लांचिंग रोक दी गई है. इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा, "प्रक्षेपण भारतीय समयानुसार सुबह साढ़े आठ बजे होगा." समय में बदलाव किए जाने का कारण पता नहीं चल पाया है, लेकिन सूत्रों ने कहा है कि बारिश और बादल छाए रहने के कारण ऐसा किया गया.
The lift-off is rescheduled at 08:30 Hrs. IST
— ISRO (@isro) October 21, 2023
Live streaming starts at 08:00 Hrs. IST
समय में बदलाव की घोषणा के तुरंत बाद सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के मॉनिटर पर उल्टी गिनती कर रही घड़ी को हटा दिया गया. बता दें कि शुक्रवार शाम सात बजे से 13 घंटे की उल्टी गिनती शुरू की गई थी.
मिशन के जरिए मानव को अंतरिक्ष में सुरक्षित लाना था
इसरो इस लॉन्चिंग के जरिए मानव को अंतरिक्ष में भेजने के अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम गगनयान की दिशा में आगे बढ़ेगा. इस दौरान पहले क्रू मॉड्यूल के जरिए अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का परीक्षण किया जाएगा. इसरो का लक्ष्य तीन दिवसीय गगनयान मिशन के लिए मानव को 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है.
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