
Digvijay Singh: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार ने जम्मू-कश्मीर के 'संवेदनशील' मामले को 'बहुत असंवेदनशील' तरीके से संभाला है. उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय लोगों को पिछले चार वर्षों से प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है. उन्होंने राज्यसभा में कश्मीर से संबंधित दो विधेयकों पर चर्चा के दौरान कहा कि स्थानीय लोगों की इच्छा की अनदेखी की जा रही है और सरकार राज्य के बाहर से लाए गए अधिकारियों के माध्यम से 'निरंकुश तरीके' से काम कर रही है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा अचानक छीन लिया गया और अब सरकार इसे बहाल करने का प्रस्ताव कर रही है. सिंह ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर का मामला संवेदनशील है और 'हमें वहां की स्थिति को समझने की जरूरत है'. उन्होंने भाजपा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर जम्मू-कश्मीर के इतिहास के बारे में बात करते हुए तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने का आरोप लगाया. सिंह ने कहा, 'अगर जम्मू कश्मीर और कश्मीर घाटी भारत के साथ है तो इसका श्रेय पंडित जवाहरलाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला को जाता है.'
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'घाटी में रोज हो रहीं आतंकवाद की घटनाएं'
उन्होंने कहा, 'अमित शाह जी, जवाहरलाल नेहरू के बारे में कितना भी बोलें लेकिन तथ्य यह है कि कश्मीर घाटी नेहरू की वजह से भारत के साथ है, जिन्हें शेख अब्दुल्ला पर भरोसा था.' साल 2019 में सरकार के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के कदम पर सिंह ने कहा कि इसके 90 प्रतिशत प्रावधान पहले से ही धीरे-धीरे भारतीय संविधान में आत्मसात हो गए थे और जब इसे निरस्त किया गया था तो शायद ही कुछ बचा था. उन्होंने कहा कि घाटी में रोजाना आतंकवाद की घटनाएं होती हैं.
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'विस्थापित लोगों के लिए आरक्षण के पक्ष में लेकिन...'
जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर सिंह ने कहा कि वह विस्थापित लोगों के लिए आरक्षण के पक्ष में हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि वहां के स्थानीय लोगों के लिए वर्तमान आरक्षण को कम करने के बाद कहीं यह आरक्षण तो प्रदान किया जाएगा. सिंह ने आगे आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने कहा, 'ठेकेदार बाहर से आ रहे हैं. स्थानीय लोगों के पास कोई अधिकार नहीं है.'
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