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'जनसंघ को वोट दो' से 'अबकी बार 400 पार' तक... जानें BJP का स्‍थापना दिवस का इतिहास और महत्व

BJP Foundation Day History: 1977 में भारतीय जनसंघ का अस्तित्व खत्म कर दिया गया और पहली बार देश मेंगैर कांग्रेसी सरकार बनी थी.

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'जनसंघ को वोट दो' से 'अबकी बार 400 पार' तक... जानें BJP का स्‍थापना दिवस का इतिहास और महत्व

BJP Foundation Day 2024: 6 अप्रैल को बीजेपी (BJP) अपना 44वां स्‍थापना दिवस (BJP Foundation Day 2024) मना रही है. इस मौके पर पार्टी 'फिर एक बार, मोदी सरकार' के नारे के साथ देश भर के 10 लाख से ज्यादा बूथों पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही है. भाजपा पार्टी की स्थापना 6 अप्रैल, 1980 को हुई थी और ये दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी है. वहीं स्थापना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे.

स्थापना दिवस के मौके पर हर साल पार्टी की यात्रा, उपलब्धियों और भविष्य के लक्ष्यों पर विभिन्न कार्यक्रम, भाषण और चर्चाएं होती हैं.

इस साल बीजेपी का स्थापना दिवस शनिवार 6 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा.

भाजपा पार्टी की स्थापना दिवस 2024 की थीम

भाजपा पार्टी की स्थापना दिवस 2024 की थीम है 'फिर एक बार मोदी सरकार.'

भाजपा पार्टी ने शुरू में भारत को दो राज्यों में विभाजित करने का विरोध किया, लेकिन फिर हिंदू राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने और भारतीय संस्कृति को पहचान देने के साथ-साथ संरक्षण के लिए एक मंच बन गया. 

BJP ने दिए कई प्रसिद्ध नारे

जनसंघ से भाजपा बनने तक पार्टी ने कई नारे दिए. पहली बार भारतीय जनसंघ पार्टी ने 'जनसंघ को वोट दो, बीड़ी पीना छोड़ दो. बीड़ी में तंबाकू है, कांग्रेस वाला डाकू है.' नारा दिया. इसके बाद 2014 में भाजपा 'हर हर मोदी, घर घर मोदी' के नारे के साथ आम चुनाव में उतरी और पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब हुई. फिर 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने 'मोदी है तो मुमकिन है' का नारा दिया था. 

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भाजपा पार्टी की स्थापना दिवस का इतिहास और महत्व

भारतीय जन संघ (बीजेएस) भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टियों में से एक है और इसके संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे. दरअसल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में स्थापित भारतीय जन संघ से इस नई पार्टी का जन्म हुआ. इसके पहले अध्यक्ष मुखर्जी थे. हालांकि कश्मीर की जेल में मुखर्जी की मौत हो गई. इसके बाद उपाध्यक्ष चंद्रमौली शर्मा को जनसंघ का अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद 1972 तक अटल बिहारी वाजपेयी और 1977 तक लाल कृष्ण आडवाणी अध्यक्ष पद पर रहे, लेकिन साल 1977 में भारतीय जनसंघ का अस्तित्व खत्म कर दिया गया.

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दरअसल, 1977 में आपातकाल की घोषणा के बाद जनसंघ का कई अन्य दलों से विलय हुआ और जनता पार्टी का उदय हुआ. पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस से सत्ता छीन ली. जनता पार्टी सरकार में जनसंघ की तरफ से आडवाणी सूचना प्रसारण मंत्री बने थे, जबकि अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री बनाए गए, लेकिन आपसी खींचतान के चलते 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई. इस स्थिति में जनता पार्टी के नेताओं को नया प्लेटफॉर्म बनाने की जरूरत महसूस हुई और इस तरह 6 अप्रैल 1980 को लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में मुबंई में एक राजनैतिक पार्टी की स्थापना हुई, जिसका नाम भारतीय जनता पार्टी रखा गया. 

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