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Amit Shah on CAA: सीएए पर अमित शाह की दो टूक, कभी वापस नहीं होगा यह कानून

कानून लागू करने की टाइमिंग पर विपक्ष के हमले पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि राहुल गांधी, ममता बनर्जी या अरविंद केजरीवाल समेत सभी विपक्षी नेता झूठ की राजनीति में लिप्त हैं. इसलिए टाइमिंग का सवाल ही नहीं उठता. बीजेपी ने अपने 2019 के घोषणापत्र में स्पष्ट कर दिया कि वह सीएए लाएगी और शरणार्थियों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से) आने वाले हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को  भारतीय नागरिकता प्रदान करेगी.

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Amit Shah on CAA in Bengal: गृह मंत्री ने कहा है कि कितना भी विरोध क्यों न हो, लेकिन सीएए कानून कभी वापस नहीं होगा. विपक्षा के आरोप पर प्रहार करते हुए शाह ने कहा कि सीएए भाजपा और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से लाया गया है. इसे रद्द करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है. इसके साथ ही उन्होंने इस कानून के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पूरे देश में जागरुकता फैलाने की बात कही, ताकि जो लोग इसे रद्द करना चाहते हैं उन्हें ये मौका न मिल सके.

अमित शाह ने ये बातें एएनआई समाचार एजेंसी के साक्षात्कार के दौरान उस सवाल के जवाब में कही है, जब उनसे कांग्रेस नेता की उस टिप्पणी के बारे में पूछा गया कि वे सत्ता में आने पर सीएए को वापस ले लेंगे. इस पर शाह ने कहा कि जहां तक ​​कि इंडिया गठबंधन के सत्ता में आने की बात है, तो उसके नेता भी जानते हैं कि वे सत्ता में नहीं आ रहे हैं.

 सीएए को बताया संवैधानिक

उन्होंने इस आलोचना को भी खारिज कर दिया कि सीएए असंवैधानिक है. शाह ने इसका बचाव करते हुए कहा कि यह कानून अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है. यहां एक स्पष्ट, उचित वर्गीकरण है. यह उन लोगों के लिए एक कानून है, जो विभाजन के कारण अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में रह गए और धार्मिक उत्पीड़न से तंग आकर भारत आने का फैसला किया.

कानून के पक्ष में दिया ये तर्क

सीएए कानून को नागरिकता देने वाला कानून करार देते हुए शाह ने कहा कि आप इस कानून को अलग करके नहीं देख सकते. 15 अगस्त, 1947 को हमारे देश का जो विभाजन हुआ था, इसे उस पृष्ठभूमि में देखिए. भारतीय जनसंघ और बीजेपी हमेशा से बंटवारे के खिलाफ थे. हम कभी नहीं चाहते थे कि देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हो, लेकिन ये सच्चाई है कि देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ. इस दौरान अल्पसंख्यकों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. उनका धर्म परिवर्तन किया जा रहा था. अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं पर अत्याचार हो रहा था, जिससे बचने के लिए वे भारत हमारी शरण में आईं. क्या उन्हें  नागरिकता पाने का अधिकार नहीं है. शाह ने कहा कि  विभाजन के दौरान कांग्रेस नेताओं ने भी अपने भाषणों में कहा था कि व्यापक रक्तपात के कारण उन अल्पसंख्यकों के लिए कहा था कि वे जहां भी रहना चाहें, वहां रह सकते हैं. बाद में हमारे देश में उनका स्वागत किया जाएगा. शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने इस काम करने के बजाय तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति करना शुरू कर दी.

टाइमिंग को लेकर विपक्ष के हमले पर किया पलटवार

कानून लागू करने की टाइमिंग पर विपक्ष के हमले पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि राहुल गांधी, ममता बनर्जी या अरविंद केजरीवाल समेत सभी विपक्षी नेता झूठ की राजनीति में लिप्त हैं. इसलिए टाइमिंग का सवाल ही नहीं उठता. बीजेपी ने अपने 2019 के घोषणापत्र में स्पष्ट कर दिया कि वह सीएए लाएगी और शरणार्थियों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से) आने वाले हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को  भारतीय नागरिकता प्रदान करेगी. बीजेपी का एक स्पष्ट एजेंडा है और उस वादे के तहत, नागरिकता (संशोधन) विधेयक दोनों सदनों में पारित किया गया था. उन्होंने कहा कि कोविड के कारण इसमें देरी हुई. चुनाव में पार्टी को जनादेश मिलने से पहले ही बीजेपी ने अपना एजेंडा साफ कर दिया था.

श्री शाह ने कहा कि नियमों को अधिसूचित करना एक औपचारिकता थी. इसलिए समय या राजनीतिक लाभ या हानि का कोई सवाल ही नहीं है. उन्होंने कहा कि अब विपक्ष तुष्टीकरण की राजनीति कर अपना वोट बैंक मजबूत करना चाहता है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी  पर पलटवार करते हुए शाह ने कहा की मैं ममता दीदी से अनुरोध कर रहा हूं, राजनीति करने के लिए कई मंच हैं, लेकिन कृपया बंगाली हिंदुओं को नुकसान न पहुंचाएं, जो बांग्लादेश से आ रहे हैं. मैं उन्हें सार्वजनिक रूप से चुनौती देता हूं कि वह एक ऐसा खंड दिखाएं, जिसमें किसी भी भारतीय की नागरिकता छीनने का प्रावधान है.  शाह ने कहा कि उनका इरादा वोट बैंक को मजबूत करने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों के बीच मतभेद पैदा करना है. दरअसल ममता ने आरोप लगाया था कि  सीएए कानून के माध्यम से अल्पसंख्यकों की नागरिकता छीन ली जाएगी. 

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