Shri Amarnathji Yatra 2024 Registration: अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2024) को लेकर इन दिनों भगवान भोलेनाथ के भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच जमकर उत्साह है. बाबा बर्फानी (Baba Barfani) की पवित्र तीर्थयात्रा इस साल 29 जून से शुरू हो रही है. पवित्र अमरनाथ गुफा (Shri Amarnath Cave) जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 140 किलोमीटर दूर और समुद्रतल से 3888 ऊंचाई पर स्थित है. इस यात्रा में तीर्थयात्री अमरनाथ गुफा (Holy Cave) तक की यात्रा तय करते हैं. गुफा के अंदर प्राकृतिक तरीके से बर्फ जमकर शिवलिंग जैसा आकार ले लेता है, जिसे भगवन शिव का स्वरूप माना जाता है. प्राकृतिक हिम से बने इस शिवलिंग को स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं.
कब से कब तक / Amarnath Yatra 2024: Opening Date and Closing Date
आषाढ़ पूर्णिमा यानी 29 जून से इस यात्रा की शुरुआत होगी जो रक्षाबंधन तक चलेगी. पूरे सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के भक्त बाबा अमरनाथ की यात्रा का लाभ ले सकते है. छड़ी मुबारक यात्रा के साथ इसका समापन होता है. इस साल 19 अगस्त को यात्रा समाप्त होगी.
Amarnath Yatra 2024 / Registration Process:
बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए करीब 2 महीने तक चलने वाली इस यात्रा के लिए ऑफलाइन पंजीकरण (Offline Registration) 26 जून से शुरू हो चुके है. यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करने हेतु पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट या वोटर आईडी के साथ पासपोर्ट साइज फोटो की आवश्यकता होगी.
Amarnath Yatra 2024 Offline Registration Process / ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया:
पंजाब नेशनल बैंक, जम्मू कश्मीर बैंक, यस बैंक और भारतीय स्टेट बैंक के शाखाओं में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया होगी. यहां जाने वाले सभी लोगों की जानकारी, अगर ग्रुप में जा रहे तो सभी का नाम, ग्रुप लीडर का नाम के साथ प्रति व्यक्ति 250 रुपए की फीस रहेगी. यात्रा हेतु पंजीकरण शुल्क और पोस्टल चार्ज श्री अमरनाथ जी के मुख्या अकाउंट अधिकारी के नाम भेजने होंगे. इसके अलावा, बिना स्वास्थय प्रमाण पत्र के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायेगी. आयु सीमा को भी ध्यान रखना होगा. ऐसे व्यक्ति जिनकी उम्र 70 वर्ष से अधिक है या ऐसे बच्चे जिनकी आयु 13 साल से कम होगी वो इस यात्रा में शामिल नहीं हो सकेंगे.
कैसे पहुंचे / How to Reach Amarnath Cave
सड़क मार्ग Road Route: अमरनाथ गुफा एक पर्वतीय और दुर्गम स्थान पर स्थित है, यहाँ पहुंचने के देश के कई हिस्सों से सीधा सड़क मार्ग नहीं है. सड़क मार्ग से जाने के लिए पहले जम्मू जाना होगा, फिर वहां से श्रीनगर तक का सफर तय करना होगा, इधर से भक्त पहलगाम या बालटाल पहुंच सकते हैं. जहां से इस पावन यात्रा की शुरुआत होती है. जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से पहलगाम 92 किलोमीटर तो वहीं बालटाल 93 किलोमीटर स्थित है. वहीं दिल्ली से बस सुविधा अमरनाथ तक उपलब्ध है.
रेल मार्ग Rail Route: इस वर्ष अमरनाथ यात्रा कर रहे भक्त रेल मार्ग की सुविधा भी उठा सकते हैं, इसके लिए पहलगाम से सबसे नज़दीक स्टेशन उधमपुर पड़ेगा, जो लगभग 217 किलोमीटर दूर है. जम्मू कश्मीर से भी रेल उपलब्ध है, पर वह देश के बड़े शहरों को ही जोड़ता है, जबकि उधमपुर स्टेशन पूरे देश से जुड़ा है.
हवाई मार्ग Air Route: अमरनाथ यात्रा के लिए सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट 90 किलोमीटर दूर श्रीनगर है, दूसरा जम्मू एयरपोर्ट तक भी फ्लाइट ले सकते हैं. जो पहलगाम से 263 किलोमीटर दूर है. देश की राजधानी दिल्ली से श्रीनगर तक फ्लाइट 1 घंटा 30 मिनट की रहती है.
अमरनाथ यात्रा मार्ग: Amarnath Yatra Route
अमरनाथ की पवित्र गुफा तक पहचने के लिए 2 रूट निर्धारित हैं, जो पहलगाम और बालटाल हैं. ये दोनों ही रास्ते श्रीनगर से अच्छी तरह जुड़े है. हालांकि पहलगाम और बालटाल से आप किसी भी वाहन से पहुंच सकते हैं, पर वहां से पैदल यात्रा करनी होगी. पहलगाम से अमरनाथ की पवित्र गुफा 48 किलोमीटर तो वहीं बालटाल से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
बालटाल रूट: Baltal Route to Amarnath Yatra
अमरनाथ यात्रा करने के लिए यह एक छोटा रूट माना जाता है, 14 किलोमीटर लम्बा है. यहां बेस कैंप भी बनाया गया है. इसके अलावा यहां से आपको पालकी, घोड़ा, हेलिकॉप्टर सेवा भी मिल जाएगी.
पहलगाम रूट: Pahalgam Route to Amarnath Yatra
इस रूट से पवित्र गुफा पैदल पहुंचने में लगभग 3 दिन का समय लगता है और यही मार्ग शुरुआत से एक ऐतिहासिक मार्ग रहा है. इस रूट में सफर करते समय कई पड़ाव आते है, पहला पड़ाव चंदनवाड़ी का आता है. जो पहलगाम के बेस कैंप से 16 किलोमीटर दूर है. यहाँ तक का सफर सीधा है, इसके बाद चढ़ाई शुरू होती है. चंदनवाड़ी के तुरंत बाद अगला बेस कैंप पिस्सू टॉप आता है, जो 3 किलोमीटर पर मौजूद है. इसके बाद 9 किलोमीटर दूर शेषनाग, फिर 14 किलोमीटर पंचतरणी, जो पवित्र गुफा के पहले एक आखरी बेस कैंप स्टॉप है. अमरनाथ गुफा यहां से 6 किलोमीटर दूर है.
Amarnath Yatra Health Tips / स्वास्थ संबंधित सलाह:
अमरनाथ की पवित्र गुफा समुद्र तल से 3888 फीट ऊपर होने से यहाँ का मौसम ख़राब रहता है, लो एयर प्रेशर के साथ भक्तजनों को ठंड और असमय बारिश का सामना करना पड़ता है. ऊंचाई के चलते सांस फूलना, चक्कर आना या उल्टी होने जैसी समस्या बनी रहती है, ऐसे में कई सावधानियां बरतनी आवश्यक हो जाती है जैसे:-
►प्रतिदिन 5 से 7 किलोमीटर चलने की आदत बनाये जिससे आगे यात्रा के दौरान पैदल चलने में कोई परिशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.
►यत्रा के दौरान कोशिश करे की हल्का खाने का सामान अपने साथ रखें और पूरे सफर में हल्का एवं सात्विक भोजन ही ग्रहण करें. तले-भुने खाने से परहेज़ बना कर चले.
►यात्रा के दौरान हल्के कपड़ों के साथ थोड़े ऊनी कपड़े भी लेते चलें, चूँकि पहाड़ी इलाकों में कई बार मौसम परिवर्तन होना एक आम बात है.
►पानी पीते रहें, बीच-बीच में कुछ फलों का सेवन अनिवार्य रूप से करें.
►यात्रा शुरू होने से पूर्व योग जैसे गहरी सांस लेने का अभ्यास और प्राणायाम करना शुरू करें.
Amarnath Katha / अमरनाथ की अमरकथा:
इस कथा को अमरकथा का दर्जा इसलिए दिया गया है क्योंकि इसे सुनने वालो को अमरपद की प्राप्ति होती है. माना गया है कि वो अमर हो जाते हैं. इसी गुफा में भगवान शंकर ने भगवती पार्वती को कथा सुनाई थी. मान्यता है कि यह कथा सुनाने के लिए भगवान शिव एक रहस्यमी जगह की तलाश में थे, यहीं उन्होंने पार्वती जी को अमर होने के गोपनीय बात बतायी थी. इस दौरान भगवन और भगवती के अलावा कोई मौजूद नहीं थे, ना नंदी, ना नाग, ना गंगा माता और ना गणपति या कार्तिकेय. इस स्थान की तलाश में जहां उन्होंने नंदी को छोड़ा उसे पहलगाम बोला गया. इससे आगे जाते हुए जहां शिव जी ने अपनी जटाओं से चन्द्रमा को अलग करा था उस स्थान को चंदनवाड़ी बोला गया. इसके पश्चात गंगा को पंचतरणी में और नाग को शेषनाग में छोड़ा गया.
अपने पीछे सब छोड़ कर जब दोनों गुफा में पहुंचे, तब शिवजी ने चारों तरफ अग्नि प्रज्वलित कर यह सुनिश्चित किया कि कोई अन्य जीव न सुन पाए. कथा को सुनते हुए पार्वती देवी को नींद लग गयी, इस दौरान सफ़ेद कबूतर का जोड़ा उन्हें सुन रहे थे और धीमे स्वर में गूँ-गूँ के स्वर निकाल रहे थे. भोले बाबा को लगा की पार्वती जी कथा सुनने में मग्न है और यह स्वर उन्ही के कंठ से आ रहे हैं. कथा समाप्त होते ही जब भगवान शिव का ध्यान सोती हुई पार्वती पर गया, तब वे सोच में पढ़ गए कि कथा काैन सुन रहा था? अचानक ध्यान कबूतर पर आते ही भगवान शिव क्रोधित हो गए. यह देखते ही वो कबूतर का जोड़ा प्रभु के शरण में बैठ उन्हें बोलने लगे कि अभी हमने अमरकथा आपसे सुनी है, अगर आप ही हमे मार देंगे तो यह कथा झूठ साबित हो जाएगी. यह सुनकर शिवजी ने उन्हें वर प्रदान किया कि वह इसी गुफा में रहकर शिव और पार्वती के प्रतीक बनेंगे. इसके बाद यह जोड़ा अमर हो गया और इस गुफा का नाम अमरनाथ नाम से प्रसिद्ध हुआ.
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