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This Article is From Jul 27, 2023

बारिश में होने वाली बीमारियों से इस तरह से रखें अपने बच्चों का ख्याल, डॉक्टर से जानें क्या करें, क्या नहींं

Monsoon Health Care: बरसात का मौसम आता है अपने साथ कई बीमारियों को भी लेकर आता है. इस मौसम में इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. ऐसे में इस मौसम में बच्चों और बूंढ़ों के स्वास्थय पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है.

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बारिश में होने वाली बीमारियों से इस तरह से रखें अपने बच्चों का ख्याल, डॉक्टर से जानें क्या करें, क्या नहींं
बारिश के मौसम में बच्चों की सेहत का खास ख्याल रखें.

बरसात का मौसम आता है अपने साथ कई बीमारियों को भी लेकर आता है. इस मौसम में इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. ऐसे में इस मौसम में बच्चों और बूंढ़ों के स्वास्थय पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. ऐसे में जरूरी है कि आप उनके खान-पान और साफ-सफाई का ख्याल रखें. इस मौसम में डेंगू, मलेरिया, इन्फ्लुएंजा, गैस्ट्रोएन्टेरिटिस, टाइफाइड का खतरा इस मौसम में सबसे ज्यादा रहता है.  कोशिश ऐसी करनी है की हम अपने परिवार को इनसे बचा सकें.

वायरल फीवर 

ये बुखार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फ़ैल सकता है. यह पहले धीमे होता है और फिर काफी तेजी से बढ़ सकता है. इसका संक्रमण ज्यादातर हवा से फैलता है. इसलिए इसका जितनी जल्दी उपचार किया जाए उतनी जल्दी ही इसमें आराम मिलता है. 

डेंगू

इस मौसम में मच्छर ज्यादा पनपने लगते हैं. मच्छर के काटने से डेंगू सीधे खून में पहुंच सकता है. इसमें बुखार सामान्य से ज्यादा तेज हो जाता है. डेंगू एक खतरनाक बीमारी है इसलिए तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.

मलेरिया 

मलेरिया भी मच्छर के काटने से होता है. मलेरिया में कपकपी और थकान के साथ तेज़ बुखार आता है. इसमें शरीर का तापमान बहुत तेज रहता है. इसलिए इसके लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और इलाज करवाएं.

इन्फ्लुएंजा (फ्लू)

इन्फ्लुएंजा को अधिकतर फ्लू कहा जाता है.  इसमें नाक का बहना , बुखार आना , शरीर दर्द देना , खांसी और गले में दिक्कत की शिकायत हो सकती है. हवा से फैलने वाली ये बीमारी , शरीर में नाक और गले से घुसकर सांस की नली के ऊपर असर करती है.

टायफॉइड

ये बीमारी पानी की वजह से होती है. इसमें पेट दर्द , सर दर्द के साथ ज्यादा लम्बे समय तक के लिए बुखार रहता है.

गैस्ट्रोएन्टराइटिस

बरसात के मौसम में हमारी पाचन क्रिया काफी संवेदनशील हो जाती है. ख़राब खाने और पानी से बैक्टीरिया से उत्पन होने वाले संक्रमण पेट पर असर डालते हैं. इसकी वजह से उल्टी , दस्त , पेट में मरोड़ और कमजोरी की शिकायत हो सकता है.

क्या करें, क्या ना करें

• छह महीने तक के बच्चो के बेडिंग को हर रोज धुलकर प्रेस जरूर करें.
• बच्चे ज्यादातर ज़मीन से उठाकर खा लेते हैं, इस मौसम में इस बात का विशेष ख्याल रखें.
• चाइल्ड फ्रेंडली कीटनाशक से सभी जगहों को अच्छे से साफ करें. आप गरम पानी और कपडे से भी सफाई कर सकते हैं.
• जब बच्चे टॉयलेट या पॉटी के लिए खुद जाने लगें तो उन्हें हाथों को अच्छे से सिखाएं. 
• रोज पहनने वाले कपड़ों को नियमित रूप से धुलकर अच्छे से धूप में सुखाएं. ऐसा करने से बैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन नहीं फैलता है.
• अपनी डाइट में ऐसी चीजों को जरूर शामिल करें जो आपकी इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करते हों. अदरक, लहसुन, हल्दी, तुलसी, अजवाइन और नींबू ये इम्यूनिटी को तेज करने में मदद करेंगे. बच्चों के सूप और सलाद में इन चीजों को शामिल करें. 
• ये सुनिश्चित करें की बड़े और बच्चे सभी भरपूर पानी पियें.  बच्चों को पानी उबालकर ठंडाकर पीने दें ऐसा करने से ज्यादातर बैक्टीरिया मर जातें हैं.
• बाहर का खाना खाने से बचें. इस मौसम में घर का बना खाना ही खाएं.
• खाने पीने का सामान साफ़ जगह पर ढक कर रखें.
• अगर बच्चे को बुखार लगता है तो डॉक्टर को अवश्य दिखाएं , ज्यादा बुखार होने पे गीला कपडा सारे शरीर पर रखें.
• जिस बच्चे को इन्फेक्शन हुआ हो उसे घर के बाकि सदस्यों को दूर रखें ताकि संक्रमण न फैले.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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