
मध्य प्रदेश के दमोह ज़िले में एक नाबालिग की हत्या हो गई. वारदात के बाद कुछ ऐसे हालात बने कि मां-बाप अपने बच्चे के अंतिम संस्कार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. इनके बुझे चेहरों के पीछे छुपे दर्द को जान किसी की भी आंखें नम हो सकती हैं. दमोह के किसान लक्ष्मण पटेल के 14 साल के इकलौते बेटे की हत्या हुई है. ये अपने सौतेले भाई और उसके परिवार पर ही इल्ज़ाम लगा रहे हैं. अफ़सोस का सबब ये भी है कि ये जोड़ा बेटे की अस्थियों के लिए दर-दर भटक रहा है.
दरअसल, बच्चे का शव गांव के तालाब से कुछ दूर मिट्टी में दबा मिला था. शव बेहद ख़राब हालत में था. गमजदा जोड़े ने कपड़ों से अपने लाल की पहचान की थी. अब बारी थी अंतिम संस्कार की...लेकिन उसमें इतने सारे क़ानूनी पचड़े सामने आए कि अब तक आख़िरी रस्म पूरी नहीं हो पाई.
अवशेष सौंपने से पहले पुलिस ने ज़रूरी डीएनए टेस्ट करवाया. डीएनए मैच नहीं हुआ क्योंकि बच्चा IVF से पैदा हुआ था. स्पर्म और एग डोनेट किए गए थे. ऐसे हालात में पुलिस ने मां-बाप को शव के अवशेष सौंपने से इनकार कर दिया. जानकार भी बता रहे हैं कि इस मामले में काफ़ी पेचीदगियां हैं.
मौत का अफ़सोस तो ताज़िंदगी रहेगा, लेकिन ज़रा सोच कर देखिए कि मां-बाप बेटे के अंतिम संस्कार के लिए तरस रहे हैं. क़ानून के अपने तकाज़े हैं. ऐसे में पुलिस को दोषी ठहराना भी ग़लत होगा. कोशिश होनी चाहिए कि ज़रूरी क़ानूनी प्रक्रिया तेज़ी से साथ पूरी हो, ताकि बदनसीब मां-बाप बेटे की आख़िरी रस्म पूरी कर पाएं.