
दमोह के पथरिया से बीएसपी विधायक रामबाई को दमोह की अदालत ने कोर्ट उठने तक की सजा सुनाई. अदालत ने रामबाई को बीच सड़क पर शव रखकर चक्का जाम करने के मामले में दोषी पाया है. रामबाई के साथ-साथ इस मामले में अन्य नामजद आरोपियों को भी यही सजा सुनाई गई है. इसके अलावा अदालत ने सभी दोषियों को 15-15 सौ रुपए का जुर्माना भी लगाया है. ये फैसला प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी विश्वेश्वरी मिश्रा की अदालत ने सुनाया है. रामबाई और उनके समर्थकों पर साल 2015 में सरकारी अस्पताल में एक व्यक्ति की मौत के बाद उसका शव रखकर चक्काजाम करने का आरोप सिद्ध हुआ है.
जनता के लिए लड़ना नहीं छोड़ूंगी : रामबाई
विधायक रामबाई का विवादों से पुराना नाता है. वे अपने बयानों और बर्ताव के चलते अक्सर चर्चा में बनी रहती हैं. रामबाई ने फैसले के बाद कहा है कि वे अदालत का सम्मान करती हैं. लेकिन आम जनता के हक और भलाई के लिए वे लड़ती रहेंगी. इसके लिए भले ही उन्हें फांसी की सजा क्यों न हो जाए, लेकिन लड़ना नहीं छोड़ेंगी.
क्या था मामला
साल 2015 में रामबाई और उनके समर्थकों ने डर्रे अहिरवार नाम के व्यक्ति की सरकारी अस्पताल में मौत के बाद उसका शव रखकर चक्काजाम किया था. रामबाई ने डाक्टरों पर इलाज में लापरवाही के आरोप लगाए थे. विधायक रामबाई ने मुख्य अभियुक्त के रूप में चक्काजाम का नेतृत्व किया, जिसके बाद उनपर केस दर्ज हुआ था. रामबाई के साथ सहअभियुक्त के रूप में भरत श्रीवास्तव, दिनेश अहिरवार, श्रीधर सुमन, कैलाश (पार्षद-वार्ड क्रमांक 2 पथरिया), जिला पंचायत सदस्य विजेन्द्र सिंह (वार्ड केवरना), छत्रपाल सिंह, शीतल अहिरवार, सिद्धन बाई, भगवानदास अहिरवार, बिलानी और सुरेश अहिरवार भी मौजूद थे. इन सभी ने मृतक का शव संजय चौराहे पर रखा और सामान्य यातायात बाधित किया था.