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विंग कमांडर ओझा का निधन, रायपुर में ली अंतिम सांस, पाकिस्तान के 90000 सैनिकों के आत्मसमर्पण के थे गवाह

Wing Commander Ojha Death: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एमबी ओझा के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने लिखा, 'एमबी ओझा 1962, 1965, और 1971 के युद्धों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.

विंग कमांडर ओझा का निधन, रायपुर में ली अंतिम सांस, पाकिस्तान के 90000 सैनिकों के आत्मसमर्पण के थे गवाह

Wing Commander Ojha Passes Away: छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर में पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों के आत्मसमर्पण करने की ऐतिहासिक घटना का साक्षी रहे वीर योद्धा विंग कमांडर एमबी ओझा (Wing Commander Ojha) का रविवार, 10 नवंबर, 2024 को  निधन हो गया. राजधानी रायपुर (Raipur) में उन्होंने अंतिम सांस ली. विंग कमांडर ओझा 89 साल के थे. एमबी ओझा के निधन पर प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शोक जताया है.

भारतीय शांति सेवा के विभिन्न मिशनों में भी शामिल थे.

भारतीय शांति सेवा के विभिन्न मिशनों में शामिल थे वीर योद्धा विंग कमांडर एमबी ओझा.

भारत-पाकिस्तान युद्ध में शामिल थे एमबी ओझा

वीर योद्धा विंग कमांडर एमबी ओझा का रविवार को निधन हो गया. ओझा 89 साल के थे, जब उन्होंने अंतिम सांस ली. वहीं उनका अंतिम संस्कार सोमवार, 11 नवंबर को महादेव शमसान घाट पर सुबह 11.30 बजे किया जाएगा. बता दें कि विंग कमांडर ओझा साल 1962 ,1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शामिल थे. इसके अलावा वो भारतीय शांति सेवा के विभिन्न मिशनों में भी शामिल थे.

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पाकिस्तान के 90000 सैनिकों के आत्मसमर्पण के थे गवाह

इसके अलावा एमबी ओझा साल 1956 में  भारतीय वायुसेना में कमीशन बने. वहीं साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय में ओझा वायुसेना में विंग कमांडर थे. इस युद्ध में भारतीय सेना की जीत हुई थी. इस दौरान पाकिस्तानी सेना के 90000 सैनिकों ने जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने हथियार डाल दिए थे और खुद आत्मसमर्पण कर दिया था. इस मौके पर विंग कमांडर एम बी ओझा भी मौजूद थे और वो उस समर्पण के प्रत्यक्ष गवाह थे.

CM साय ने जताया शोक

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय विंग कमांडर ओझा के निधन पर शोक जताया है और उनके अमूल्य योगदान को नमन किया. उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट शेयर कर लिखा, 'राष्ट्र के वीर योद्धा को श्रद्धांजलि. विंग कमांडर एम.बी. ओझा (सेवानिवृत्त), जिन्होंने 1962, 1965, और 1971 के युद्धों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारतीय शांति मिशनों का हिस्सा रहे, आज 89 वर्ष की आयु में रायपुर में हमें अलविदा कह गए. वो 1971 में पाकिस्तानी सेना के 90 हजार सैनिकों के समर्पण के प्रत्यक्ष गवाह थे.

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