Water Crisis in Bilaspur: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) में भीषण गर्मी और पानी के दोहन (Exploitation of Ground Water) से लगातार गिरते हुए भू-जल स्तर (Ground Water Level) को लेकर शासन-प्रशासन उदासीन है. आलम यह है कि वर्ष 2020 से लेकर अब तक बिलासपुर में 41 मीटर तक जल स्तर नीचे गिर गया है. भू-जल विद विभाग की मानें तो आने वाले समय में जल संकट और भी गहराने वाला है. भीषण गर्मी (Extreme Heat) के बीच गली मोहल्लों में पानी की किल्लत देखने को मिल रही है. इसके पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं.
जानकारों के मुताबिक, गिरते जल स्तर का मुख्य कारण यह है कि जगह-जगह बोरिंग की जा रही है. इसके चलते बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा नदी इस दिनों सूखी पड़ी है. बिलासपुर, बिल्हा और तखतपुर ब्लॉक में 90 प्रतिशत लोगों के घरों में निजी बोर का पानी पहुंचता है. चाहे वो शहर हो या गांव, पीने का पानी बोर की व्यवस्था पर ही टिकी हुई है. लगातार हो रहे भू जल के दोहन से जल का स्तर काफी नीचे जा चुका है और आने वाले दिनों में ये समस्या और भी बढ़ने वाली है.
कोरोना के समय ऊपर था जल स्तर
भू जल विद विभाग के सहायक अधिकारी एस के पराते का कहना है कि दो साल पहले कोरोना की वजह से सारी फैक्ट्रियां, इंडस्ट्रीज और छोटे-छोटे उद्योग बंद थे, पानी का उपयोग और दुरुपयोग नहीं हो रहा था, जिसके कारण वाटर लेवल 20 से 21 मीटर तक ऊपर आ गया था. यानी धरातल से 20 से 21 मीटर में ही पानी मिल जा रहा था. वर्ष 2022 में वाटर लेवल 40 से 41 मीटर तक पहुंच गया. इसका मुख्य कारण है कि पानी का बेतहाशा दोहन करना और दोहन के पूर्ति के लिए पानी को रिचार्ज न करना.
इन तरीकों से बचा सकते हैं पानी
भू-जल विद ने कहा कि आने वाले दिनों में जल संकट से बचने के लिए हमें बरसाती पानी को रोकने, चेक डैम बनाने, वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से वाटर रिचार्ज करने और जबरिया पानी के दुरुपयोग को बंद करना होगा. इन सभी तरीकों से पानी को बचाया जा सकता है. साथ ही आने वाली पीढ़ी को पानी के लिए तरसना नहीं पड़ेगा.
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