
Development in Dantewada: चुनाव के समय में देश-प्रदेश की सरकारें भले ही विकास के लाख दावे कर लें, लेकिन छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कई इलाके और वहां के लोग अभी भी विकास से कोसों दूर हैं. छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा (Naxalite Area Dantewada) के कुछ इलाकों में लोग सड़क, पानी, बिजली जैसी मूलभूत जरूरतों (Basic Facilities) के लिए जूझ रहे हैं. यहां तक की यहां के लोगों के पास राशन कार्ड और आधार कार्ड भी नहीं है, जिससे वे सरकारी योजनाओं के तहत राशन-पानी ले सकें.
दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा ब्लाक के गुनियापाल के पास दामनपारा गांव है, जहां के लोगों के पास पीने के लिए अच्छा पानी, बिजली और सरकारी अनाज लेने के लिए राशन कार्ड तक नहीं है. दामनपारा में बिजली के खंभे तो कई वर्षों से गड़े हैं, लेकिन उनमें रोशनी नहीं है.

दामनपारा गांव के लोगों के पास पीने के लिए अच्छा पानी तक नहीं है.
इलाज कराने के लिए पार करनी पड़ती है नदी
दामनपारा गांव तक पहुंचने वाला रास्ता कच्चा है, यहां ढंग की सड़क तक नहीं है. NDTV के रिपोर्टर ने जब ग्रामीणों से सड़क के बारे में पूछा तो ग्रामीणों ने बताया कि वे सड़क तो चाहते हैं, लेकिन जब सड़क बनावाने वाला कोई है ही नहीं तो वह क्या कर सकते हैं? मजबूरी में उन्हें रोजमर्रा का सामान लेने 20 किलोमीटर दूर किरंदुल पैदल चलकर जाना पड़ता है. गांव तक सड़क नहीं होने के चलते एंबुलेंस नहीं आ पाती है. जब किसी का इलाज करवाना होता है तो यहां के लोग मरीज को कावड़ में रखकर मलगेर नदी को पार करते हैं, जहां से समेली तक पैदल 05 किलोमीटर चलकर जाना पड़ता है.

गांव के लोगों को इलाज कराने के लिए 5 किलोमीटर दूर पैदल जाना पड़ता है.
न राशन कार्ड और ना ही वृद्धा पेंशन
दामनपारा के 20 घरों की आबादी में महज 03 ही घर के मुखिया के पास राशन कार्ड है. जिन्हें सरकारी योजना का लाभ मिल रहा है. बाकी किसी के पास राशन कार्ड तक नहीं है. जबकि सभी आदिवासी ग्रामीण गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं. गांव के ग्रामीणों ने बताया कि हमारे गांव में सचिव और सरपंच कभी नहीं आते हैं. गांव के लोगों ने सरपंच को कई बार जाकर अपनी समस्या बताई हैं, लेकिन वे हमारी समस्या का समाधान नहीं करते हैं. राशन कार्ड के साथ-साथ गांव में रहने वाले बुजुर्गों को वृद्धावस्था में सरकार के द्वारा दी जाने वाली पेंशन से भी वंचित रहना पड़ रहा है. यहां रहने वाले एक 70 वर्षीय बुजुर्ग दिव्यांग हैं, लेकिन इन्हें आजतक कभी वृद्धा पेंशन योजना का लाभ नहीं मिला.

दामनपारा में बच्चों की पढ़ाई के लिए न तो आगनबाड़ी है और ना ही कोई स्कूल.
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साफ पानी और स्कूल की मांग
दामनपारा गांव में एक भी आंगनबाड़ी और स्कूल नहीं है. जिसके चलते यहां के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा भी नसीब नहीं हो रही है. गांव में एक हैंडपंप लगा है, जिससे लाल और गंदा पानी निकलता है. इसके चलते ग्रामीणों को रोजाना गांव से 1 किलोमीटर दूर पैदल चलकर मलगेर नदी में दैनिक जीवन में उपयोग के लिए पानी लाना पड़ता है. नदी के पानी का इस्तेमाल ग्रामीण पीने के लिए भी करते हैं.
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