
Chhattisgarh Hindi News: छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के बैकुंठपुर में एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड) द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन के बदले मुआवजा और रोजगार की मांग को लेकर खोंड़, सोरगा और टेमरी गांव के सैकड़ों पीड़ित किसान एकजुट होकर सड़क पर उतर आए हैं. अपनी वर्षों पुरानी मांगों के पूरे न होने से नाराज ग्रामीणों ने सोमवार से सोरगा चौक में कोल परिवहन को पूरी तरह रोकते हुए अनिश्चितकालीन चक्काजाम और आंदोलन शुरू कर दिया है. इस चक्काजाम के कारण एसईसीएल (SECL) बैकुंठपुर एरिया की पांडवपारा और झिलिमिली कोयला खदान से कटोरा साइडिंग तक कोयले का परिवहन दिनभर ठप रहा.

प्रदर्शनकारी किसानों ने साफ कहा कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि एसईसीएल पांडवपारा द्वारा 15 मई 1989 से 18 जुलाई 1992 के बीच अधिग्रहित की गई जमीन के एवज में अब तक यानी 36 वर्षों बाद भी उन्हें न तो रोजगार मिला है और न ही मुआवजा.
जमीन के लिए भूख हड़ताल
स्थानीय महिला राजकुमारी ने बताया कि हम अपनी जमीन के लिए भूख हड़ताल पर बैठे हैं. खाने के लिए कुछ नहीं है. हम एसईसीएल से सिर्फ इतना चाहते हैं कि हमें रोजगार दिया जाए. अगर नहीं मिलेगा तो हम अपनी लड़ाई और आगे तक ले जाएंगे. वहीं, प्रवीण दुबे सहित एक अन्य स्थानीय निवासी ने कहा कि 1989 से 1991 के बीच 542 लोगों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था. कुछ लोगों को रोजगार मिल गया, लेकिन बहुत लोगों को अपात्र बताकर वंचित कर दिया.
जरूरी कागज दिए, फिर भी रोजगार नहीं
जब जमीन सबकी एक समान है तो यह भेदभाव क्यों? वहीं, मंगलेश्वर कुमार ने भी अपनी आपबीती सुनाई और बताया कि पूर्वजों की जमीन एसईसीएल के पास फंसी हुई है. 2019 में योग्य होने के बाद मैंने सभी जरूरी कागज दिए. दो एकड़ सिंचित और तीन एकड़ असिंचित जमीन का प्रमाण दिया. तहसीलदार ने छह महीने तक जांच की. फिर भी छह साल बाद अब अधिकारी रोजगार देने से इनकार कर रहे हैं.
ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरत रही और एक ही नियम के तहत किसी को पात्र और किसी को अपात्र करार देकर रोजगार से वंचित किया जा रहा है. उनका कहना है कि यह संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है.
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किसानों की चेतावनी
प्रदर्शनकारी किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा. फिलहाल प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हुई है, जिससे ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त है.
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