सोनहत रेंज के गरनई बीट में 8 नवंबर को मृत पाए गए बाघ की मौत का मामला अब साफ़ हो गया है. इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IVRI), बरेली की जांच रिपोर्ट में बाघ की मौत को स्वाभाविक बताया गया है. मृत बाघ के विसरा की जांच रिपोर्ट में जहर से मौत की आशंका को खारिज कर दिया गया है. इसके अलावा, बाघ के शरीर पर चोटों के निशान पाए गए हैं. इनमें तीन पसलियां टूटी हुई मिलीं. हालांक, इन चोटों को स्वाभाविक कारणों से जोड़ा जा रहा है. इस रिपोर्ट के बाद वन विभाग ने राहत की सांस ली है. मालूम हो कि घटना का खुलासा होने के बाद वन विभाग के ऊपर कई सवाल उठने लगे थे. जबकि वन विभाग ने इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में रेंजर विनय कुमार सिंह को निलंबित किया था. इसके पहले दो अन्य कर्मचारियों को भी सस्पेंड किया गया था.
शुरुआती आशंका क्या थी ?
बाघ का शव मिलने के बाद शुरुआत में जहरखुरानी से मौत की संभावना जताई जा रही थी. लेकिन जांच के बाद यह साफ हो गया कि बाघ की मौत किसी जहरीले पदार्थ के कारण नहीं हुई. गरनई बीट में बाघ का शव मिलने के बाद वन विभाग और विशेषज्ञों ने घटनास्थल पर जांच की. शुरुआती तौर पर कई सवाल उठे थे, लेकिन अब रिपोर्ट के आने के बाद स्थिति साफ हो गई है.
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क्या था मामला ?
मामले में वन विभाग की जांच में मृत बाघ की खाल, नाखून, दांत और सभी अंग सुरक्षित मिले. किसी प्रकार का अंग-भंग नहीं पाया गया. बाघ के मौत के सभी संभावित कारणों की जांच की गई. घटना स्थल के आसपास के क्षेत्र में गोमार्डा अभ्यारण्य के डॉग स्क्वायड टीम ने पतासाजी की.
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