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This Article is From Sep 17, 2023

सूरजपुर : गणेशोत्सव के लिए गणपति की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे मूर्तिकार, लोगों में उत्साह

मूर्तिकारों ने बताया कि कई वर्षों की अपेक्षा इस साल मूर्तियों की मांग बढ़ी है लेकिन खुद की सुविधा और रख रखाव को देखते हुए सीमित ऑर्डर ही लिए जा रहे हैं, क्योंकि आर्डर के बाद तय समय पर प्रतिमाओं को तैयार करना पड़ता है.

सूरजपुर : गणेशोत्सव के लिए गणपति की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे मूर्तिकार, लोगों में उत्साह
पांच फीट की मूर्ति को बनाने में लगभग 20 से 25 दिन लग जाते हैं और उस दौरान ही सभी छोटी मूर्तियों भी बनाई जाती है, बारीकी से किये काम को ग्राहक पसंद करते हैं
सूरजपुर:

गणेश पक्ष की शुरुआत 19 सितंबर से हो रही है. इसको लेकर सूरजपुर में गणेश प्रतिमा को अंतिम रूप देने में मूर्तिकार जी-जान से जुट गए हैं. गणेश पक्ष शुरू होते ही जगह-जगह भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी. सूरजपुर के लोकनाथ शिल्प भंडार में छोटी-बड़ी साइज की लगभग 400 मूर्तियां बनाई गई हैं. मूर्तिकार तुषार ने बताया कि तीन महीने पहले से तैयारियां शुरू कर दी गई थीं.

बढ़ रही है मूर्तियों की डिमांड

मूर्तिकारों ने बताया कि कई वर्षों की अपेक्षा इस साल मूर्तियों की मांग बढ़ी है लेकिन खुद की सुविधा और रख रखाव को देखते हुए सीमित ऑर्डर ही लिए जा रहे हैं, क्योंकि आर्डर के बाद तय समय पर प्रतिमाओं को तैयार करना पड़ता है. उनके अनुसार, पांच फीट की मूर्ति को बनाने में लगभग 20 से 25 दिन लग जाते हैं और उस दौरान छोटी मूर्तियां भी बनाई जाती हैं. बारीकी से किए काम को ग्राहक पसंद करते हैं. ग्राहक मोलभाव भी करने से नहीं चूकते इसलिए कोशिश रहती है कि कम से कम लागत में मूर्तियां तैयार हों जिससे ग्राहकों को बजट के अनुसार मूर्तियां मिल सकें.

मूर्तियों को बनाने के लिए खास तरह की मिट्टी तैयार की जाती है. इस मिट्टी को तैयार करने में काफी मेहनत लगती है. प्रतिमा का पूरा श्रृंगार हाथ से किया जाता है, मूर्ति पर शाइनिंग और लाइट के लिए मशीन का उपयोग भी किया जाता है जिससे प्रतिमा और भी आकर्षक हो जाती है. वस्त्र, स्वर्ण, मोती, रत्नों सहित बालू मिट्टी, रेत आदि का समावेश करने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. 

महंगाई का दिख रहा है असर

अयोजन समिति के सदस्य और श्रद्धालु भगवान गणपति के स्वागत की तैयारी में हैं लेकिन आयोजक यह भी बता रहे हैं कि इस बार समितियों पर अधिक भार पड़ सकता है. मूर्ति बनाने के संसाधन मिट्टी, लकड़ी-बत्ता, पैरा महंगे हो गए हैं जिससे मूर्ति की कीमत भी बढ़ गई है. लकड़ी, बत्ता, बांस के दाम भी आसमान छू रहे हैं जो मूर्तियों के दाम बढ़ने की एक बड़ी वजह है. पूरे जिले में गणेश पूजा को लेकर भक्ति व उत्साह का माहौल बना हुआ है.

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