Chhattisgarh Jail News: छ्त्तीसगढ़ की सभी जेलों की लाइब्रेरी में RSS के मुखपत्र पाञ्चजन्य और ऑर्गनाइज़र मैगज़ीन उपलब्ध कराए जाने के आदेश के बाद छ्त्तीसगढ़ में सियासत तेज हो गई है. दरअसल DG जेल हिमांशु गुप्ता बीते दिनों जेल के निरीक्षण के लिए पहुंचे थे. उसी दौरान उन्होंने जेल की लाइब्रेरी का भी दौरा किया.उन्होंने यहां मिलने वाले अखबारों और मैगजीन के बार में जानकारी मांगी तो पता चला कि यहां पाञ्चजन्य और ऑर्गनाइज़र मैगज़ीन नहीं आते. इसी के बाद DG जेल ने राज्य के सभी जेलों में इन दोनों को उपलब्ध कराने का आदेश जारी किया. उन्होंने तर्क दिया कि इससे कैदियों को मुख्य धारा में जोड़ने में मदद मिलेगी. ये दोनों मैगजीन को हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध कराया जाएगा.
50 कैदियों पर एक पत्रिका और समाचार पत्र
बता दें कि छत्तीसगढ़ में कुल 33 जेल हैं. जिसमें कैदियों को मुख्यधारा से जोड़ने के मकसद से लाइब्रेरी में किताबों की व्यवस्था की जाती है. यह निर्णय कैदियों को सुधारने, उन्हें सही मार्गदर्शन देने, उनकी शिक्षा में सुधार लाने और मानसिक विकास में मदद करने की दिशा में लिया गया था.जेल पुस्तकालय में आम तौर पर हर महीने समाचार पत्र, पत्रिकाएं और किताबें खरीदी जाती हैं. नियमों के मुताबिक जेलों में औसतन, हर 50 कैदियों के लिए जेल पुस्तकालय में एक समाचार पत्र और एक पत्रिका उपलब्ध कराई जाती है.
पाञ्चजन्य में देशप्रेम की बात होती है: डिप्टी CM
उधर DG जेल हिमांशु गुप्ता के आदेश के बाद राज्य में सियासत गरमा गई है. एक तरफ बीजेपी इसे सकारात्मक कदम बता रही है तो कांग्रेस इसे नफरत फैलाने वाला फैसला बता रही है. खुद गृहमंत्री विजय शर्मा का कहना है कि पाञ्चजन्य में राष्ट्रवाद और देशप्रेम की बात होती है...राष्ट्रवाद और देशप्रेम की बात को अगर जेल में भेजा जा रहा तो गलत क्या है? बीजेपी प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास्तव ने NDTV से कहा कि ये फैसला कैदियों के हित में लिया गया है. इससे न सिर्फ कैदियों में राष्ट्रवाद को उभारने में मदद मिलेगी बल्कि उनकी जीवन शैली में भी सुधार आएगा. नैतिक शिक्षा और अच्छे संस्कार भी मिलेंगे.
गांधी-नेहरू की जीवनी पढ़ाएं: विकास उपाध्याय
दूसरी तरफ कांग्रेस नेता और पूर्व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि बीजेपी की सरकार देश को गर्त में ले जा रही है. जेलों में महात्मा गांधी और नेहरू की जीवनी पढ़ाई जानी चाहिए. इससे जेल में रह रहे कैदियों के जीवन में सुधार आएगा. जेल में RSS अपनी और नाथूराम गोडसे की विचारधारा को भेजना चाहती है जो लोगों को बांटना और नफरत करना सिखाती है.
बता दें कि आरएसएस के पांचजन्य को 1948 में और 1947 में ऑर्गनाइजर को शुरू किया गया था. लेकिन, बीजेपी की रमन सिंह के नेतृत्व वाली 15 साल की सरकार में इस तरह के फैसले को लागू नहीं किया गया था. अब विष्णुदेव साय सरकार में जब इसे शुरू किया गया है तो सियासी वार होना लाजिमी ही है.
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