
Madheswar Mahadev Temple: जशपुर जिले में एक दुनिया का सबसे विशाल प्राकृतिक शिवलिंग है. शिवलिंगरूपी पर्वत की एक गुफा में स्थित सैंकड़ों साल पुराने मंदिर में भगवान शिव मधेश्वर महादेव के रूप में विराजमान है. मधेश्वर महादेव के दर्शन के लिए हर साल श्रावण महीने में श्रद्धालु कई किलोमीटर की मुश्किल यात्रा तय करके पहुंचते हैं.
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शिवलिंगरूपी पर्वत की गुफा में विराजमान है मधेश्वर महादेव मंदिर
जिले के कुनकुरी विकासखण्ड के मयाली गांव में स्थित मधेश्वर महादेव मंदिर शिवलिंगरूपी पर्वत में स्थित हैं. चरईडांड़-बतौली स्टेट हाईवे पर मयाली गांव में विशाल शिवलिंगरूपी पर्वत के दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं. श्रद्धालु विशाल पर्वत को शिवलिंग मानकर पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं.
श्रावण में मधेश्वर महादेव के दर्शन के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं भक्त
गौरतलब है पवित्र माह श्रावण में शिवलिंगरूपी पर्वत की गुफा में स्थित मधेश्वर महादेव के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्तगण दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यह क्रम इस श्रावण मास में जारी है. बताते चलें कि मधेश्वर महादेव के विकास के लिए कुनकुरी से विधायक और सूबे के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने करोड़ो की सौगात दी है.
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मधेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से दूर हो जाती है बड़ी से बड़ी बीमारी
शिवलिंगरूपी पर्वत में स्थित मधेश्वर महादेव मंदिर में श्रावण महीने में सुबह से ही भक्तों की लंबी लंबी कतारें लग जाती हैं. मंदिर में श्रद्धालु तरह तरह की बीमारियों से परेशान होकर पहुंचते हैं और महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि मधेश्वर महादेव के दर्शन कर से पीड़ितों को बड़ी से बड़ी बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है.
मधेश्वर महादेव मंदिर की सौंदर्यीकरण के लिए सीएम ने दिए 40 करोड़
विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग के आसपास सौंदर्यीकरण की मांग कई सालों से हो रही थी, जो हाल में सूबे के सीएम ने पूरी की है. सीएम विष्णुदेव साय ने स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करते हुए मधेश्वर महादेव मंदिर के लिए हाल में 40 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं, जिसकी पहली किश्त 10 करोड़ रुपए जारी भी कर दिया गया है.
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सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग का दर्जा मिलने के बाद फैल रही है ख्याति
उल्लेखनीय है स्थानीय लोग सालों से मधेश्वर महादेव की पूजा करते आ रहे हैं, लेकिन अब तक यह लोगों के सामने नहीं आ सका था. कुनकुरी विधायक और मुख्यमंत्री साय के प्रयासों से अब इसे विश्व के सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग का दर्जा मिला है, जिसके बाद इसकी ख्याति तेजी से फैल रही है, जिससे अब इस स्थल को धार्मिक पर्यटन के रूप में संवारा जा रहा है.