
Chhattisgarh: कांग्रेस प्रवक्ता राधिका खेड़ा (Radhika Khera) ने रविवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा (Resignation) दे दिया. उन्होंने दावा किया कि अयोध्या (Ayodhya) में रामलला के दर्शन करने को लेकर उनकी आलोचना इस स्तर तक पहुंच गई कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) कांग्रेस कार्यालय में उनके साथ हुई घटना में उन्हें न्याय देने से इनकार कर दिया गया. खेड़ा ने यह भी दावा किया कि पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं को कई बार सूचित करने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला. खेड़ा ने यह भी कहा कि धर्म का समर्थन करने वालों को हमेशा विरोध का सामना करना पड़ा है और इसी के साथ ही उन्होंने हिरण्यकश्यप, रावण और कंस का उदाहरण देते हुए कहा कि इनकी तरह ही कुछ लोग भगवान श्री राम का नाम लेने वालों का विरोध करते हैं.
एक्स पर पोस्ट् किया इस्तीफा लेटर
छत्तीसगढ़ के लिए कांग्रेस की संचार और मीडिया समन्वयक खेड़ा ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को संबोधित अपना इस्तीफा सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट किया. इस्तीफे में खेड़ा ने लिखा, ‘हर हिंदू के लिए प्रभु श्री राम की जन्मस्थली बहुत मायने रखती है. रामलला के दर्शन मात्र से जहां हर हिंदू अपना जीवन सफल मानता है, वहीं कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं.'
ऐसे जाहिर की अपनी प्रतिक्रिया
राधिका खेड़ा ने अपने इस्तीफे को लेकर कहा, ‘मेरे इस पुनीत कार्य का विरोध इस स्तर तक पहुंच गया कि मेरे साथ छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हुए घटनाक्रम में मुझे न्याय देने से इंकार कर दिया गया.' खेड़ा ने कहा कि वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और अपने पद से इस्तीफा दे रही हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा दूसरों के न्याय के लिए लड़ाई लड़ी है लेकिन जब खुद के न्याय की बात आई तो मैंने खुद को पार्टी में हारा हुआ पाया. भगवान श्री राम की भक्त और एक महिला होने के नाते मैं बहुत आहत हूं.'
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पार्टी के लोगों ने कही ये बात
पार्टी सूत्रों ने बताया कि 30 अप्रैल को रायपुर में पार्टी कार्यालय में वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा के दौरे को लेकर खेड़ा और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के संचार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला के बीच बहस हुई थी. बाद में खेड़ा का एक वीडियो भी सार्वजनिक हुआ था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उनके साथ अभद्र बर्ताव किया गया.